जिला अदालत ने रात 10 बजे दिया आदेश, 25 सदस्यों का परिवार सडक पर आने से बचा
मध्य रेल्वे को गार्डलाइन में घर तोडने की कार्रवाई को रोकना पडा
नागपुर /दि.18– पीडित को न्याय देने हेतु अदालत के दरवाजे कभी भी खुल सकते है, यह बात विगत दिनों उस समय सामने आयी, जब विगत गुरुवार को जिला अदालत द्वारा रात 10 बजे आदेश दिये जाने के चलते गार्डलाइन परिसर में एक घर तोडने की कार्रवाई मध्य रेल्वे प्रशासन को रोकनी पडी. जिसके चलते इस घर में रहने वाला 25 सदस्यों का परिवार सडक पर आने से बच गया.
जानकारी के मुताबिक जिस तरह पर यह घर बना हुआ है, उस जमीन के मालकी हक को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. मध्य रेल्वे ने यह जमीन अपनी रहने का दावा किया है. वहीं पीडित परिवार के दावे के मुताबिक यह जमीन राज्य सरकार की है. इसे लेकर संबंधित परिवार के सदस्य अब्दूल जहीर अब्दूल बशीर की ओर से दायर मुकदमा जिला अदालत में प्रलंबित है. जिस पर अंतिम सुनवाई पूरी हो चुकी है और अदालत द्वारा कल 19 मार्च को इस मामले में अपना फैसला सुनाया जाएगा. वहीं इससे पहले अदालत ने विगत 28 फरवरी को इस मामले में तथा स्थिति बनाए रखने के अंतरिम आदेश को समयावृद्धि देने की मांग को अमान्य कर दिया था और उस समय मध्यरेल्वे ने मामले में अंतिम फैसला आने तक इस घर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन दिया था. लेकिन इसके बावजूद मध्य रेल्वे ने अदालती मनाई हुकूम नहीं रहने का गलत फायदा उठाते हुए 14 मार्च की शाम 5 बजे से इस घर को गिराने की कार्रवाई शुरु कर दी और देखते ही देखते 60 फीसद हिस्सा गिरा दिया. इस दौरान अब्दूल जहीर ने अपने वकील एड. राहुल झांबरे व अन्यों के साथ रात 9 बजे प्रधान जिला न्यायाधीश दिनेश सुराणा के निवासस्थान पर पहुंचकर गुहार लगाई और अपने घर पर हो रही कार्रवाई को रोकने की मांग की. जिसके बाद न्या. सुराणा के निर्देश पर न्या. एस. एम. कणकदंडे ने रात 10 बजे के आसपास इस घर पर हो रही कार्रवाई को रोकने का निर्देश जारी किया. जिसके बाद अगले दिन इस मामले में नियमित न्यायाधीश शिल्पा बैस के समक्ष विस्तृत सुनवाई हुई और उन्होंने इस मामले में 19 मार्च तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया.
* तहसील पुलिस थाने में शिकायत
अब्दूल जहीर के परिवार में कुल 25 सदस्य है. जिनमें 85 वर्ष की सबसे बुजुर्ग महिला सहित कुल 12 महिलाओं का समावेश है और घर में एक नवजात बच्चा भी है. जिसके चलते अब्दूल जहीर ने मध्य रेल्वे के अधिकारियों के खिलाफ तहसील पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है. जिसमें आरोप लगाया गया है कि, शाम 6 बजे के बाद महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता और उन्हें पुलिस थाने में भी नहीं बुलाया जा सकता. साथ ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी नहीं की जा सकती. इसके बावजूद मध्यरेल्वे ने सभी नियमों व अदालत में फैसले हेतु प्रलंबित मामले की अनदेखी करते हुए गैर कानूनी तरीके से रिहायशी घर को तोडने की कार्रवाई की है.