लडकी से दोस्ती को रजामंदी न समझे
विवाह का प्रलोभन देकर बलात्कार के मामले में उच्च न्यायालय की टिप्पणी
मुंबई/ दि.29– मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि, अगर लडकी का किसी लडके के साथ दोस्ती का रिश्ता है तो, उसका यह मतलब नहीं है कि, उसने शारीरिक संबंधों के लिए भी रजामंदी दे दी है. जस्टीस भारती डांगडे की सिंगल बेंच ने 24 जून को जारी अपने आदेश के दौरान यह बात कही. उन्होंने आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पूर्व जमानत की अर्जी खारिज कर दी है.
आरोपी आशिष चाकोर पर महिला को विवाह का प्रलोभन देकर बलात्कार करने का आरोप है. महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि, उसका चाकोर के साथ दोस्ती का रिश्ता था, लेकिन उसने शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने को कहा, उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी चाकोर ने उसके साथ जबर्दस्ती की. उसके बाद वह गर्भवती हो गई. इसके बाद आरोपी विवाह के वादे से मुकर गया. मामले में आरोपी ने यह कहकर गिरफ्तारी से राहत मांगी थी कि, महिला ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए रजामंदी दी थी. जस्टीस डांगडे ने कहा कि, लडकी के साथ महज दोस्ती के रिश्ते का मतलब यह नहीं है कि, लडका समझे की उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए रजामंदी दे दी है. अदालत ने उस मामले में आरोपी के खिलाफ आगे जांच के निर्देश दिये है.