मुंबई./दि.8– राज्य के महाधिवक्ता या विधि व न्याय विभाग ने विविध प्रकरणों में कानून विषयक दिये गए अभिप्राय या सलाह यह जानकारी गुप्त रखनी है, वह किसी को न दी जाये, केंद्र सरकार को भी न दी जाये, ऐसे सख्त आदेश मंत्रालय के सभी प्रशासकीय विभागों को राज्य शासन ने दिये है.
राज्य के विधि व न्याय विभाग ने मंगलवार को एक परिपत्रक जारी कर कानून विषयक जानकारी गुप्त रखने संबंधी नियम का कड़ाई से पालन करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए महाराष्ट्र विधि अधिकारी नियम 1984 के नियम 9 के आधार लिया गया है. इस नियमानुसार राज्य के विधि व न्याय विभाग ने या महाधिवक्ताओं ने विविध प्रकरणों में कानून विषयक दिये गए अभिप्राय व सलाह की जानकारी दिये जाने पर राज्य सरकार के समक्ष कानूनविषयक कुछ दिक्कतें निर्माण हो सकती है. इसलिए ऐसे प्रकार की जानकारी गुप्त रखने के नियम का सभी विभागों से कड़ाई से पालन किया जाये, यह जानकारी लोगों को न दी जाये, वहीं केंद्र सरकार सहित अन्य किसी भी सरकार को न दे, ऐसे निर्देश दिये गए हैं.
फिलहाल केंद्र में भाजपा एवं महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी सरकार है. अनेक प्रश्नों पर फिलहाल केंद्र व राज्य सरकार के बीच संघर्ष शुरु है. इस पार्श्वभूमि पर मंत्रालय की कानून विषयक जानकारी गुप्त रखने व वह केंद्र सरकार को भी न देने का निर्णय लिये जाने की बात कही जा रही है.
इस संदर्भ में विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव नीरज धोटे से संपर्क साधने पर उन्होेंने यह स्पष्ट किया कि महाधिवक्ता, विधि व न्याय विभाग ने दिया गया अभिप्राय गुप्त रखने, वह जानकारी अन्यों को न देने,ऐसा नियम है, इसका पालन करने के लिए सभी विभागों को बताया गया है. इससे पूर्व ऐसी जानकारी दिए जाने से कोई दिक्कतें आयी क्या, ऐसा पूछे जाने पर दिक्कतें आयी या नहीं ज्ञात नहीं, लेकिन आगे न आये, इसलिए नियमों का पालन करने के आदेश दिए जाने की बात उन्होंने कही.
* प्रधान सचिव की अनुमति आवश्यक
राज्य से संबंधित कानून विषयक जानकारी केंद्र सरकार को भी नहीं दी जाये, ऐसा परिपत्रक में कहा गया. इस बाबत विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव की अनुमति के बगैर ऐसी जानकारी केंद्र सरकार को नहीं दी जा सकेगी.
महाधिवक्ता, विधि व न्याय विभाग ने दिया गया अभिप्राय गुप्त रखना नियमानुसार आवश्यक है. जिसके चलते नियमों का पालन करने सभी विभागों को कहा गया है.
– नीरज धोटे, प्रधान सचिव,विधि व न्याय विभाग