पीओपी गणेशमूर्ति की स्थापना न करें
पाबंदी का कडाई से पालन करनेबाबत मंडलों को जानकारी देने के उच्च न्यायालय के आदेश
मुंबई/दि. 31- गणेशोत्सव के शुभारंभ को अब केवल एक सप्ताह का समय शेष है. ऐसे में पर्यावरण के लिए हानिकारण प्लास्टर ऑफ पैरिस (पीओपी) की गणेशमूर्तियों पर पाबंदी रहने की सूचना और इस बाबत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सुधारित नियमावली का कडाई से पालन करनेबाबत सभी सार्वजनिक गणेश मंडल को जानकारी देने के आदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार सहित सभी मनपा को दिए है.
मंडप के लिए अनुमति प्राप्त करनेवाले गणेश मंडलो को भी तत्काल नियमो के मुताबिक पीओपी गणेशमूर्ति की स्थापना न करने के आदेश देने की बात मुख्य न्यायमूर्ति देवेंद्रकुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने स्पष्ट की. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा 2020 में यानी 4 वर्ष पूर्व सुधारित नियमावली घोषित कर पीओपी के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है. ऐसा रहते हुए भी सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल और मूर्तिकारों को पीओपी के इस्तेमाल से प्रवृत्त करने के लिए राज्य सरकार सहित अन्य यंत्रणा विफल साबित होने पर न्यायालय ने रोष व्यक्त किया. साथ ही नियमानुसार निर्णय न लेने पर सरकार, मुंबई मनपा सहित अन्य मनपा की भूमिका पर सवाल उठाए. इन मुद्दों पर गंभीरता देखे और आवश्यक निर्णय ले, ऐसा भी मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा. सीपीसीबी के सुधारित मार्गदर्शक तत्व पर कडाई से अमल करनेबाबत राज्य के सभी मनपा आयुक्त, पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की सार्वजनिक मंडल के साथ बैठक लेने के आदेश भी दिए. पीओपी पाबंदी बाबत सीपीसीबी की मार्गदर्शक सूचना का उल्लंघन होने पर सरकार द्वारा जुर्माना लगाने सहित प्रतिबंधात्मक उपाय बाबत के नियम लगाने के आदेश भी मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने सरकार को दिए. इसके पूर्व सुबह के सत्र में इस प्रकरण में हुई सुनवाई के समय न्यायालय ने पीओपी पाबंदी 4 साल से लागू रहने के बावजूद इस पर अमल न करने पर सभी यंत्रणा को आडेहाथों लिया. सामान्य परिस्थिति में असामान्य निर्णय लेने पडते है. पीओपी पाबंदी पर अमल बाबत स्थिति भी असाधारण है, ऐसा दर्ज कर खंडपीठ ने पीओपी की मूर्ति के इस्तेमाल पर और बिक्री पर पाबंदी लगाने के संकेत दिए थे. पीओपी की मूर्ति पर पाबंदी कागजपत्रों पर ही रही है, ऐसी टिप्पणी भी न्यायालय ने यह संकेत देते हुए की थी. उस समय नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति नितिन सांबरे की अध्यक्षता में खंडपीठ ने इस प्रकरण में खुद दायर की याचिका पर 28 अगस्त को दिए आदेश बाबत न्यायालय को बताया गया. इसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने इस प्रकरण की सुनवाई दोपहर में रखी. साथ ही नागपुर खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश की प्रति प्रस्तुत करने के आदेश दिए. नागपुर खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक पीओपी की मूर्ति पर पाबंदी के नियमों का उल्लंघन करनेवाले मंडलो पर प्रदूषण नियंत्रण कानून के मुताबिक दंडात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे. नागपुर खंडपीठ के आदेश से सहमत रहने की बात दर्ज कर इस आदेश का पालन करने के आदेश मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में खंडपीठ ने सरकार और मनपा को दिए.
*…फिर भी नियमों का उल्लंघन
सीपीसीबी ने 12 मई 2020 को पीओपी इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई थी. इस पर अमल 2021 से किया गया. फिर भी पिछले तीन साल से सरकार और मनपा प्रशासन द्वारा पीओपी इस्तेमाल रोकने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए. सभी मूर्तिकार और गणेश मंडलो को भी सीपीसीबी की पाबंदी के नियम बाबत कल्पना रहने के बावजूद उन्होंने पीओपी इस्तेमाल शुरु रखा. इस बाबत न्यायालय ने निराशा व्यक्त की. मूर्तिकार और मंडलो को पीओपी के इस्तेमाल से परावृत्त करने के लिए दंडात्मक कार्रवाई करना आवश्यक था. लेकिन वह भी नहीं किया गया. मूर्तिकारों के उदरनिर्वाह से यह बात संबंधित रहने से अब सर्वसमावेशक नियम तैयार करने के आदेश न्यायालय ने दिए.