महाराष्ट्र

‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ का नारा देने वालों को हिंदुत्व ना सिखाएं

बोले शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे

 मुंबई /दि. 19  – शिवसेना के 55 वें स्थापना दिवस पर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने फेसबुक के माध्यम से शनिवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि शिवसेना पहले के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली हुई है. सत्ता जाने से भाजपा में बेचैनी है. उनकी बात जाने दीजिए. उन्हें जो दवाई चाहिए वो समय आने पर दूंगा. उन्होंने ललकारते हुए कहा कि ‘जिन्होंने गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ नारा दिया था उनकी पार्टी को कोई हिंदुत्व ना सिखाए. दरअसल यह गलतफहमी इसलिए पैदा हुई है क्योंकि शिवसेना महाविकास आघाड़ी की सरकार में है. यह गलतफहमी दूर हो जानी चाहिए. हिंदुत्व किसी का पेटेंट नहीं है. हिंदुत्व हमारे मन में है, हिंदुत्व हमारे खून में है, हिंदुत्व ही हमारे लिए राष्ट्रीयता है. हिंदुत्व हमारी सांस है, अगर सांस ही चली गई, तो इस शरीर का क्या अर्थ है.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम जब मराठी माणूस की बात करते हैं तो कुछ लोग बोलते हैं कि यह संकुचित पार्टी है. छोटी सोच रखती है. जब हम हिंदुत्व की बात करते हैं तो लोग कहते हैं कि हम धर्मांध हैं. आलोचना करने वाले आलोचना करने का बहाना ढूंढ़ ही लेते हैं. इसलिए उनकी चिंता छोड़िए. मराठी माणूस के लिए, प्रादेशिक अस्मिता के लिए शिवसेना हमेशा लड़ती आई है, लड़ती रहेगी. राष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदुत्व के लिए लड़ने वाली सबसे आगे रहने वाली पार्टी शिवसेना रही है.
उन्होंने कांग्रेस पर सांकेतिक हमला करते हुए कहा कि आज अनेक लोग स्वबल (अपने दम पर चुनाव लड़ने की) की बात कर रहे हैं. तलवार चलाने से पहले तलवार उठाने की ताकत तो लाएं फिर अपने दम पर लड़ाई लड़ें. कोरोना काल में स्वबल का नारा देने वालों को मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि यह स्वबल चुनाव जीतने के लिए नहीं होता है. यह नारा अन्याय से लड़ने के लिए और जनता का हक हासिल करने के लिए है.
इतिहास की बात याद करवाते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी माणूस का मान तो छोड़िए अपमान हो रहा था. अगर तब बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना नहीं की होती तो मराठी माणूस हाशिए में चला जाता. चुनाव में हार-जीत होती रहती है. शिवसैनिकों के लिए आत्मबल और आत्माभिमान का नारा उनके संस्कार में है. कोरोना काल में लोग परेशान हैं, अस्वस्थ हैं. ऐसे समय में स्वबल का नारा देने वालों को जनता माफ नहीं करेगी. उद्धव ठाकरे के इस वक्तव्य का जवाब जब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने यह किसके बारे में कहा है, स्पष्ट नहीं है. अगर वह स्पष्ट रूप से कांग्रेस के बारे में कहेंगे, तब हम भी जवाब देंगे.
उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में यह साफ किया कि प्रादेशिक अस्मिता की बात करने का मतलब यह नहीं कि राष्ट्रीयता का अभाव होना है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की शक्ति प्रादेशिक अस्मिता की शक्ति से बनती है. पहले देश फिर महाराष्ट्र. हम जय महाराष्ट्र बोलने से पहले जय हिंद बोलते हैं, जय भीम बोलते हैं, लेकिन जय महाराष्ट्र नहीं भूलते हैं. प्रादेशिक अस्मिता को खोकर देश नहीं बनता. हिंदुत्व ही हमारी राष्ट्रीयता है. पश्चिम बंगाल की जनता ने जो कर दिखाया वो है, आत्मबल. मैं जीत-हार की बात नहीं कर रहा. जिस तरह वहां की जनता ने अपना मत स्वतंत्र होकर दिया, उसे कहते हैं स्वबल, उसे कहते हैं आत्मबल. इसका मतलब यह नहीं कि उनमें राष्ट्रीयता नहीं है.

बंगाल ने आजादी की लड़ाई के वक्त भी बहुत बढ़-चढ़ कर योगदान दिया है. ‘वंदे मातरम’ हमें बंकिम चंद चटर्जी ने दिया है. ‘जन गण मन’ हमें रवींद्र नाथ टैगोर ने दिया है. खुदीराम बोस जैसे वहां क्रांतिकारी हुए हैं. बंगाल ने अपनी प्रादेशिक अस्मिता जिस तरह से बचाई, उसकी तारीफ करनी होगी. पश्चिम बंगाल के लोग देश नहीं भूले लेकिन प्रादेशिक अस्मिता के लिए सचेत हुए, जागरूक हुए. हमें भी कोई भ्रम नहीं है. देश पहले है, फिर राज्य है.
कोरोना काल में विकृत राजनीति हुई है. अनेक लोगों की असलियत सामने आई.  पिछले दो-तीन दिनों से कुछ घटनाएं सामने आई हैं, जिनका जिक्र काफी हो रहा है. दादर में शिवसैनिकों ने जो किया, मैं उसकी प्रशंसा करता हूं. जोरदार उत्तर देने वाले ही असली शिवसैनिक हैं, यह बाकी लोगों के ध्यान में रहे. वैसे आम तौर पर रक्तपात करना शिवसेना का संस्कार नहीं है, रक्तदान करना शिवसेना का संस्कार है. कोरोना काल में शिवसैनिकों ने बड़े पैमाने पर रक्तदान किया है. रक्तदान करते हुए हम यह नहीं देखते हैं कि यह रक्त किसे मिल रहा है. जो लोग यह कहते हैं कि सभी धर्मों के लोगों का रक्त लाल है. सही है ना, हम कहां कहते हैं ना. इसलिए हम यह नहीं पूछते कि यह रक्त किसे मिलेगा.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेरी इस बारे में भी आलोचना होती है कि मैं घर से बाहर नहीं निकलता, घर में ही रह कर काम करता हूं. उनसे मेरा यही कहना है कि घर में रह कर जब इतना काम हो रहा है तो सोचिए अगर मैं घर से बाहर निकल गया तो क्या होगा. फिर शिवसेना पार्टी प्रमुख ने कहा कि कोरोना काल में मैं लोगों से लगातार आह्वान कर रहा हूं कि घर से बाहर ना निकलें, अगर मैं खुद उसका पालन नहीं करूं, तो किस तरह की मिसाल उनके सामने पेश करूंगा?
हम कोरोना का सामना कर रहे हैं. यह कितने दिनों तक चलेगा, पता नहीं. अपना देश फिलहाल अराजकता नहीं कहूंगा लेकिन अस्वस्थता का सामना कर रहा है. कोरोना के बाद जो आर्थिक संकट सामने आएगा, उसका विचार ना करते हुए अगर लोग विकृत राजनीति करेंगे तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. यह समय एक साथ आने का है, राजनीति करने का नहीं. इस वक्त मैं बार-बार आह्वान करता हूं कि हममें से हर एक को यह तय करना है कि हम अपना घर, अपना गांव कोरोना मुक्त करेंगे. कोरोना को बाहर करना है तो सभी को मिलकर काम करना होगा. संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन क्यों सफल हुआ? मुंबई महाराष्ट्र को कैसे मिली? जब सब लोग मिलकर रास्तों पर उतरे. हम सब एक हो गए. उसी तरह एक होकर अपना घर, गांव और शहर को कोरोनामुक्त करें. आज हमारा लक्ष्य कोरोनामुक्ति है. इसके लिए एक हो जाएं. इन शब्दों में आज शिवसेना पार्टी प्रमुख ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.

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