गुढीपाडवा के मुहूर्त पर कोकण से दोगुने आम रवाना
हापूस आम बाजार में भेजने की परंपरा अनेक बागवानों की कायम
रत्नागिरी /दि. 10– गुढीपाडवा के मुहूर्त पर हापूस आम बाजार में भेजने की परंपरा अनेक बागवानों ने कायम रखी है. पिछले साल की तुलना में इस बार वाशी के बाजारपेठ में दोगुने आम की पेटियां रवाना हुई है.
कोकण में आम का हंगाम साधारणता फरवरी से शुरु होता है. लेकिन तब प्रमाण कम रहता है. मार्च महिने में वह बढने लगता है. ऐसे में धूप बढने पर आम पकने की गति बढती है और बाजार में आवक बढती है. उपलब्ध आंकडेवारी के मुताबिक पिछले दो दिनों में वाशी के बाजारपेठ में हापूस की क्रमश: 67 हजार और 55 हजार पेटी पहुंची है. पिछले वर्ष की तुलना में यह प्रमाण दोगुना रहने की जानकारी वाशी के व्यवसायियों ने दी. आवक बढने से भाव भी कम हुए है. वर्तमान में हापूस की खुदरा बिक्री के भाव 300 से 800 रुपए डझन है. पिछले वर्ष की तुलना में यह भाव 500 रुपए कम है. लेकिन पिछले सप्ताह की गिरावट कुछ मात्रा में रुकने से किसानों को राहत मिली है. इस बार फरवरी और मार्च माह में रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग की तुलना में सर्वाधिक हापूस आम वाशी सहित पुणे, अहमदाबाद, पश्चिम महाराष्ट्र के विविध बाजारों में पहुंचा है. 50 प्रतिशत से अधिक आम उत्पादक किसानों ने पाडवा (गुढीपाडवा) को बिक्री का मुहूर्त निकाला. उनके साथ अन्य किसानों ने मिलकर सोमवार को वाशी बाजार में पहुंची 92 हजार पेटी में से हापूस की 67 हजार पेटी रवाना की, बाकी के अन्य प्रकार के आम है. मंगलवार को भी 55 हजार पेटी आम कोकण से वाशी के बाजार में पहुंचे रहने की जानकारी व्यवसायियों ने दी.
* आवक बढने से भाव में गिरावट
गुढीपाडवा को हर वर्ष कोकण से करीबन एक लाख पेटी आम भेजा जाता है. गत वर्ष इसी अवधि में केवल 29 हजार और 40 हजार पेटी पहुंची थी. गत वर्ष कर्नाटक सहित अन्य आम की आवक कम थी. इस कारण भाव अच्छे मिले थे. इस बार सत्र के आरंभ में हापूस की पेटी के भाव साढे 6 से 7 हजार रुपए थे. लेकिन आवक बढते ही भाव में गिरावट आने लगी.
* हापूस की आवक इस बार अधिक
हापूस की आवक इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक है. पिछले वर्ष इसी कालावधि में कोकण को छोडकर अन्य क्षेत्रों के आम अधिक थे. बाजार की स्थिति को देखते हुए भाव गत वर्ष की तुलना में कम रहे तो भी स्थिर है. अन्य देशो का निर्यात चार दिन के बाद फिर शुरु हुआ है.
– संजय पानसरे, संचालक, वाशी उपज मंडी.