महाराष्ट्र

डॉ.अरुणा म्हारोलकर और किशोर रायपुरकर के अविष्कार को मिला पेटंट

कम खर्च में बनाया मेकॅनिकल स्टैंड

* ऊर्जा की बचत, घरेलू तथा पूजा विधि में कर सकते है इस्तेमाल
संभाजीनगर/दि.13– जालना के जेईएस कॉलेज में भौतिकशास्त्र की सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत डॉ.अरूणा प्रभाकर म्हारोलकर को सातवां पेटंट मिला है. ‘मेकॅनिकल स्टैन्ड फॉर होल्डिंग बनाना स्टम्स’ के लिए यह बौद्धिक संपदा अधिकार उन्हें भारतीय पेटंट कार्यालय की ओर से मिला है. मेकॅनिकल स्टॅन्ड के अविष्कार में डॉ.अरूणा म्हारोलकर के साथ छत्रपति संभाजीनगर के शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्राध्यापक किशोर रायपुरकर ने मेहनत ली है. इन दोनों को यह पेटंट मिला है.
* कम खर्च में बनाया मेकॅनिकल स्टैंड
डॉ. अरूणा म्हारोलकर ने इसके पूर्व 6 पेटंट अपने नाम किए है. डॉ.म्हारोलकर और प्रा.किशोर रायपुरकर इन दोनों ने काफी कम खर्च में एक ऐसा मेकॅनिकल स्टैंड बनाया है, जो केले की लकडी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले यात्रिंकी व्यवस्था से संबंधित है. इस अविष्कार की तकनीकी भूमिका यह है कि, यह कम कीमत का होकर एकसूत्र, व्यवस्था केले के तने को मजबूति से पकड कर रखना आसान होता है. जिससे घर में की जाने वाली पूजा की तैयारी भी आकर्षक दिखेगी.
* स्वयं दर्ज किया पेटंट
डॉ.अरूणा म्हारोलकर ने अपने अविष्कार के बारे में बताया कि, यह पेटंट उन्होंने स्वयं दर्ज किया. पेटंट का मसौदा तैयार करने के लिए पेटंट वकील को नियुक्त नहीं किया. यह पेटंट पंजीयन की गई तारीख से 20 साल के समयावधि के लिए मिला है. इस मेकॅनिकल स्टैंड की खासियत यह है कि, ये स्टैंड किफायतशीर, इस्तेमाल करने में आसानी, कम बचत, मानवी उर्जा की बचत और आम लोगों को ले जाने के लिए सुविधाजनक है. इतनाही नहीं यह विविध दैनिक घरेलू कामों क लिए और विविध पूजा विधि, होम हवन आदि के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
* लंबे समय के पश्चात सफलता
पेटंट भरने के बाद पहली परीक्षा रिपोर्ट फॉर्म पेटंट ऑफिस को प्राप्त हुई है. पहली परीक्षा की रिपोर्ट में पेटंट कार्यालय ने उपस्थित किए सभी सवालों के जवाब दिए. इसके बाद कानूनी लडाई की सुनवाई पार की है और पेटंट कार्यालय ने डॉ.म्हारोलकर और प्रा.रायपुरकर को यह पेटंट मंजूर किया है. लंबी अवधि के बाद यह सफलता मिलने की हमें बेहद खुशी है. एक व्यक्ति स्वयं का पेटंट दर्ज कर सकता है और वह पेटंट भी मंजूर किया जाता है, यह सर्वोत्तम उदाहरण है, ऐसा डॉ.म्हारोलकर ने बताया. इस शानदार सफलता पर डॉ.म्हारोलकर एवं प्रा.रायपुरकर का जेईएस कॉलेज के अध्यक्ष पुरुषोत्तम बगाडिया, प्राचार्य डॉ.गणेश अग्निहोत्री ने सराहना करते हुए अभिनंदन किया है.

 

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