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ओबीसी हितों को देखते हुए ओबीसी नेता का चयन
मुंबई/दि.10 – इस समय प्रदेश भाजपा के कई बडे नेता दिल्ली में है और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के चयन को लेकर जमकर लॉबींग व फिल्डींग की जा रही है. जिसके तहत नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कट्टर समर्थक रहनेवाले जलगांव जामोद के भाजपा विधायक डॉ. संजय कुटे का नाम इस समय प्रदेशाध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है.
हालांकि विधायक संजय कुटे का फ्रंटलाईन नेताओं में समावेश नहीं होता. किंतु वे लगातार चार बार विधायक निर्वाचित हुए है. मूलत: बुलडाणा निवासी डॉ. संजय कुटे को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बेहद खासमखास माना जाता है. सबसे उल्लेखनीय यह है कि, अमित शाह के बेहद नजदीकी रहनेवाले आशिष शेलार प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए इच्छुक थे. किंतु फडणवीस की गुडबूक में आशिष शेलार शामिल नहीं है. ऐसे में फिलहाल शेलार की तुलना में डॉ. संजय कुटे का पलडा कुछ अधिक भारी दिखाई दे रहा है.
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फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं
वहीं दूसरी ओर विगत कुछ दिनों से दिल्ली में रहनेवाले विधायक डॉ. संजय कुटे से जब प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि, फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं है और दिल्ली में पार्टी की अंतर्गत मिटिंगे चल रही है. जिसमें प्रदेशाध्यक्ष बदलने को लेकर कोई हलचलें नहीं हो रही.
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इन वजहों के चलते चयन संभव
– इस समय ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर राज्य में राजनीतिक वातावरण जमकर गरमाया हुआ है. जिसे देखते हुए फडणवीस द्वारा कुटे का नाम आगे किये जाने की जानकारी है.
– राज्य की मौजूदा स्थिति को संभालने के लिए एक बार फिर ओबीसी नेतृत्व को आगे लाये जाने की जरूरत है. जिसके चलते मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष व मराठा नेता चंद्रकांत पाटील को पद से हटाये जाने की संभावना है.
– ओबीसी समाज का नेतृत्व करनेवाली पंकजा मुंडे ने फडणवीस के खिलाफ एक तरह से एल्गार घोषित कर रखा है. ऐसे में नये ओबीसी नेतृत्व को सामने लाना फडणवीस व पार्टी के लिए जरूरी हो गया है.
– डॉ. कुटे फिलहाल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष है. साथ ही मुख्यमंत्री रहते समय देवेेंद्र फडणवीस नेे मंत्रिमंडल का जो अंतिम विस्तार किया था, तब उन्होंने डॉ. संजय कुटे को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया था.
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पंकजा मुंडे व बावनकुले के लिए धक्कादायक
पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले तथा पंकजा मुंडे जैसे नेताओं को परे रखते हुए डॉ. संजय कुटे का पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद पर नंबर लगाये जाने को काफी हद तक धक्कादायक माना जा रहा है. इससे पहले पंकजा मुंडे ने देवेेंद्र फडणवीस को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए उनके नेतृत्व को मानने से इन्कार किया था. वहीं विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी देने से इन्कार करते हुए पार्टी ने बावनकुले को भविष्य में कोई बडा पद देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बावनकुले के हाथ एक बार फिर निराशा आने की संभावना है और फडणवीस द्वारा डॉ. कुटे का नाम आगे करते हुए बावनकुले व पंकजा मुंडे को जोर का धक्का धीरे से देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है.