सोशल मीडिया पर सजा ड्रग्ज का बाजार, ‘डार्क नेट’ का युवाओं पर जाल
इंस्टाग्राम, वॉट्सएप व फेसबुक पर बने है विशेष ग्रुप, रेव पार्टियों का होता है आयोजन
मुंबई/दि.14– विगत कुछ वर्षों तक बेहद खास और परिचय वाले नेटवर्क में गुपचुप तरीके से चलने वाले मादक पदार्थों के व्यवसाय को सुचना तकनीक के क्षेत्र में आयी क्रांति के चलते जबर्दस्त ताकत मिली है. विशेष तौर पर ‘डार्क नेट’ और इनदिनों विस्तारित होते जा रहे सोशल मीडिया के जरिए कई लोग मादक पदार्थों की विक्री व रेव पार्टियों का आयोजन करने लगे है. जिसके जरिए युवाओं को अपने जाल में फांसा जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने वर्ष 2023 की वर्ल्ड ड्रग्ज रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित की है. जिसके अनुसार सोशल मीडिया के जरिए मादक पदार्थों का व्यवहार करने वालों में प्रमुख तौर पर 16 से 24 वर्ष आयु गुट वाले युवा सबसे अधिक दिखाई दिए है. इसके अलावा वॉट्सएप के जरिए भी मादक पदार्थों की विक्री व तस्करी करने की बात सामने आयी है.
* ग्रुप में प्रवेश के लिए चाहिए ‘रेफरन्स’
इंस्टाग्राम, फेसबुक व स्नैप चैट जैसे कुछ प्रमुख माध्यमों के जरिए ड्रग्ज तस्करी हो रही है. जहां पर कई लोग निजी ग्रुप तैयार करते हुए इस जरिए मादक पदार्थों की खरीदी विक्री के संदर्भ में जानकारी देते है, ऐसा जांच एजेंसियों को पता चला है. ऐसे समूह में किसी रेफरंस के बिना प्रवेश करना काफी मुश्किल होता है. जिसके चलते ऐसे समूह जांच ऐजेंसियों के लिए काफी सिरदर्द साबित हो रहे है.
* रील्स के जरिए सांकेतिक संदेश
– इंस्टाग्राम के जरिए ड्रग्ज की तस्करी का ट्रेंड विगत डेढ-दो वर्षों के दौरान कुछ अधिक प्रमाण में विकसित हुआ है.
– रील्स तथा स्टेटर्स अपडेट करते हुए सांकेतिक संदेश देकर युवाओं को ड्रग्ज तस्करों द्वारा अपनी ओर आकर्षित किया जाता है.
– सोशल मीडिया के हैंडल किसके है और उन्हें किस देश से चलाया जाता है. साथ ही उनका आईपी एडरेस क्या है. इसका पता लगाने हेतु जांच एजेंसियों को काफी उठापठक करनी पड रही है.
* ….तो ही मिलता है यूजर नेम व पासवर्ड
– सर्वेक्षण के अनुसार 25 से 34 वर्ष वाले आयु गुट के युवा इंटरनेट पर ‘डार्क नेट’ के जरिए चलने वाले मादक पदार्थों की खरीदी-विक्री के व्यवहार करते है.
– इंटरनेट के अथांग विश्व में कई ऐसी बेवसाईट है. जहां तक पहुंचना सर्च इंजिन के लिए भी संभव नहीं होता, ऐसे में इंटरनेट के समानांतर नेटवर्क खडा करते हुए ‘डार्क नेट’ चलाया जाता है.
– ‘डार्क नेट’ में सभी को प्रवेश नहीं मिलता, बल्कि यदि कोई संदर्भ या रेफरन्स है, तो ही वहां की वेबसाइट का यूजर नेम व पासवड प्राप्त होता है. जिसके बाद यहां से मादक पदार्थों के व्यवहार शुरु होते है.
* बिटक्वाइन के जरिए होते है व्यवहार
‘डार्क नेट’ पर चलने वाले आर्थिक व्यवहार बिटक्वाइन नामक आभासी चलन यानि वर्च्यूअल करंसी के जरिए किये जाते है. दो माह पहले ही नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ‘डार्क नेट’ के जरिए होने वाले मादक पदार्थों की खरीदी-विक्री के बडे रैकेट को उजागर किया. जिसमें मुंबई के युवाओं ने ‘डार्क नेट’ के जरिए ड्रग्ज की खरीदी की थी और उन्हें विदेश से डाक के जरिए मादक पदार्थों की खेप भेजी जाने वाली थी.