महाराष्ट्र

सूखे के कारण सोना गिरवी रख कर्ज लेने आगे बढ़ रहे किसान

नॉन बैंकिंग कंपनियो का प्रमाण 80 प्रतिशत

छत्रपति संभाजीनगर/दि.11– इस बार सूखे की मार झेलने वाले किसानों को रबी का नियोजन करने की चिंता है. इसके लिए आर्थिक आपूर्ति करने वाली नॉन बैंकिंग वित्तिय कंपनी के पास सोना गिरवी रखा कर्ज मिलने के लिए किसान जाने लगे है. इसका प्रमाण वर्तमान में 70 से 80 प्रतिशत तक है. दिवाली के बाद इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना दर्शायी जा रही है.

राज्य में अधिकांश इलाको में सूखे की स्थिति है. सरकार द्वारा शुरूआत में 40 तहसीलो में सूखा घोषित किए जाने के बाद उस पर हुई टिप्पणी को देखते हुए और 959 राजस्व मंडल में सूखे जैसी परिस्थिति घोषित की गई है. दिवाली जैसा पूर्ण वर्ष का बडा त्यौहार रहते अनेक किसानों के जेब में अभी भी फुटी कौडी नहीं है. सोयाबीन जैसी फसल की भिक्री से अथवा फसल बीमा की रकम आने का मार्ग रहा तो भी इससे आनेवाले पैसो से रबी का नियोजन करना या दिवाली पर्व मनाना या फिर उधारी पर लाए बीज-खाद के दुकानदारो का हिसाब पूर्ण करना अथवा बच्चों की शिक्षा ऐसे अनेक सवाल किसानों के सामने है. ग्रामीण इलाको में डेंगू जैसी बीमारी पर भी बडा खर्च हो रहा है. ऐसी सभी परिस्थिति में और सरकारी बैंक कर्ज के लिए दरवाजे पर खडी न करने से नॉन बैंकिंग वित्तिय कंपनी की तरफ सोना गिरवी रख रबी के नियोजन और दिवाली का खर्च करने किएल किसान खर्च लेते दिखाई दे रहे है. वर्तमान में किसानों का नॉन बैंकिंग वित्तिय कंपनियों की तरफ कर्ज लेने का प्रमाण 70 से 80 प्रतिशत रहने की जानकारी इस क्षेत्र की एक कंपनी के व्यवस्थापक रहे संतोष देशमुख ने दी. अकाल सहायता, फसल बीमा की अग्रिम रकम मंजूर करने के संदर्भ में निर्णय हुआ रहा तो भी प्रत्यक्ष में सहायता की रकम बैंक खाते में जमा होने तक दिवाली त्यौहार पूर्ण हो जाएगा. इस कारण कुछ किसानों पर नॉन बैंकिंग कंपनी के पास सोना गिरवी रखे पैसो से पर्व मनाने की नौबत आ गई है.

मराठवाडा हमेशा सूखे का इलाका के रुप में पहचाना जाता रहने से इस इलाके में नॉन बैंकिंग वित्तिय कंपनी का जाल बढ़ता गया है.विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में अधिक कंपनियों की शाखा होती जा रही है. वर्तमान परिस्थिति में एनबीएफसी अंतर्गत नॉन बैंकिंग कंपनियां 20 से 22 रही तो भी अन्य भी अनेक छोटी संस्था सोना गिरवी रख कर्ज देने के लिए मैदान में उतरी है. उनकी संख्या 80 के करीब और 150 से 200 से अधिक शाखा रहने की बात इस क्षेत्र के जानकार बताते है.

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