शिक्षा संस्था न्यायालय में
बीबीए, बीसीए पाठ्यक्रम अंतर्गत लेने का ‘एआयसीटीई’ के निर्णय को आव्हान
पुणे/दि.4– व्यवस्थापनशास्त्र पदवी (बीबीए, बीएमएस), संगणक उपयोजन (बीसीए) पाठ्यक्रम अपने अंतर्गत लेने की अखिल भारतीय तंत्र शिक्षा परिषद की (एआयसीटीई) निर्णय को देशभर की शिक्षा संस्थाओं ने न्यायालय में आव्हान दिया है. उसमें पूणे की दो संस्थाओं का समावेश है. एआयसीटीई के निर्णय के कारण संस्था, विद्यार्थी, पालको पर बोझ बढने की संस्था की भूमिका है.
बीबीए, बीएमएस, बीसीए इस पदवी पाठ्यक्रम को ‘एआयसीटीई’ ने व्यावसायिक पाठ्यक्रम का दर्जा दिया तथा इस पाठ्यक्रम के लिए ‘एआयसीटीई’ की मान्यता लेना भी अनिवार्य किया है. यह पाठयक्रम महाविद्यालय में चलाने के लिए कुछ निकष निश्चित किए है. किंतु इस निर्णय का विरोध कर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडू सहित कुछ राज्य के शिक्षा संस्थाओं ने न्यायालय में आव्हान दिया है. उसमें पुणे के प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसायटी, राज्य बिना अनुदानित शिक्षा संस्था संगठना इस संस्था का समावेश है.
प्रोग्रेसिव्ह एज्युकेशन सोसायटी के कार्यवाह डॉ. शामकांत देशमुख ने कहा कि विद्यापीठ अनुदान आयेाग के नियंत्रण अंतर्गत और राज्य सरकार की मान्यता ने बीबीए, बीएमएम, बीसीए पाठ्यक्रम चलाया जा रहा था. किंतु यह पाठयक्रम एआयसीटीई के अंतर्गत जाने के कारण अनेक बदलाव करना पडेगा. फिलहाल 80 विद्यार्थियों को 60 विद्यार्थियों में विभाजित किया जायेगा. मूलभूत सुविधा एआयसीटीई के निकषनुसार करनी पडेगी. इसके लिए संस्थाओं को खर्च करना पडेगा. शुल्क निर्धारण समिति की शुल्क रचना की जायेगी. जिसके कारण शुल्क में वृध्दि हो सकती है. उसी प्रकार 10 प्र्रतिशत जगह बढाने का पर्याय भी नहीं रहेगा. इस निर्णय के कारण राज्य सरकार पर भी अधिक बोझ बढेगा. व्यवस्थापन शास्त्र पदव्युत्तर पदवी पाठ्यक्रम की संस्था बचाने के लिए यह बदलाव करने का अनुमान है.
अभी तक बीबीए, बीएमएस, बीसीए यह पाठ्यक्रम वाणिज्य, विज्ञान शाखा अंतर्गत, विद्यापीठ और यूजीसी की मान्यता से चल रहा था. अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति अंतर्गत अब यूजीसी और एआयसीटीई का अस्तित्व खत्म होकर उच्च शिक्षा आयोग आयेगा.
जिसके कारण यह पाठयक्रम अंतर्गत लेने की ‘एआयसीटीई’ को अचानक जल्दी क्यों हुई. यह सवाल है. विभाजन की विद्यार्थी संख्या कम करने, अलग प्राचार्य, अलग ग्रंथालय ऐसा बदलाव महाविद्यालय को करना संभव नहीं.
अभी तक विद्यार्थियों की पढाई कम खर्च में होती थी. किंतु ‘एआयसीटीई’ के निर्णय के कारण वैसा नहीं होगा. यह निर्णय लेते समय सभी भाग धारकों को विश्वास में नहीं लिया. एमबीए यह व्यावसायिक पाठयक्रम न होने का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में दिया था. उस अनुसार ‘एआयसीटीई’ के निर्णय के विरोध में याचिका दर्ज करने का राज्य बिना अनुदानित शिक्षा संस्था संगठन के अध्यक्ष डॉ. सुधाकर जाधवर ने बताया.
* सभी याचिका एक ही उच्च न्यायालय में
विविध राज्य से दाखल की गई याचिका अब एक ही उच्च न्यायालय में हस्तांतरित करने की जाहिर नोटिस एआयसीटीई ने संकेत स्थल पर प्रसिध्द की है. उसी प्रकार पाठ्यक्रम की मान्यता के लिए अनेक बार समयावृध्दि दी है.