कोरोना से विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति गिरी
23% बच्चों को वाक्य का अर्थ नहीं पता
* ‘असर’ के अहवाल में महाराष्ट्र की अवस्था
मुंबई/दि.19- कोरोना के कारण प्रदेश में विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति में गिरावट आई है. 2018 के शैक्षणिक वर्ष की तुलना में सभी विषयों में विद्यार्थी पिछड़ रहे हैं. वाचन शैली भी बिगड़ गई है. अनेक विद्यार्थियों के गणित कच्चे हो गए. कक्षा 2 री का पाठ कक्षा 8 वीं के विद्यार्थी ढंग से पढ़ नहीं पा रहे. 2018 में 80 प्रतिशत विद्यार्थी ठीक ठाक पढ़ लेते थे. 2022 में 76 प्रतिशत आकड़ा हो गया है. कक्षा 5 वीं के विद्यार्थी दूसरी कक्षा के गणित भी नहीं कर पा रहे. अनेक को हाथ पर गिनकर जोड़ अथवा घटना नहीं आने की बात एक सर्वेेक्षण ेमें उजागर हुई है.
पिरामल ग्रुप और प्रथम एजूकेशन फाऊंडेशन के अध्यक्ष अजय पिरामल के हस्ते गुुरुवार को शैक्षणिक परिस्थिति समीक्षा करने वाले ‘असर’ का अहवाल का विमोचन किया गया. देशभर के 616 ग्रामीण जिलों में असर ने यह सर्वे किया है. 3 से 16 वर्ष आयु सीमा के शालेय छात्र-छात्राओं का घर-घ़र जाकर मूलभूत वाचन तथा गणित का मूल्यांकन किया गया. इस बार अंग्रेजी क्षमता की भी जांच की गई. यह सर्वेक्षण महाराष्ट्र के 33 ग्रामीण जिलों के 983 गांवों में 19396 घरों के 34280 विद्यार्थियों पर किया गया. जिसमें शैक्षणिक अवस्था उपरोक्त अंदाज में नजर आयी.
रिपोर्ट में कहा गया कि कक्षा तीसरी के विद्यार्थी जोड़-घटाना कर सके, ऐसे बच्चो का प्रमाण 2018 में 27 प्रतिशत था. 2022 में वह 18 प्रतिशत तक घसर गया. कक्षा 5 वीं के सरकारी शालाओं में पढ़ रहे 20 प्रतिशत विद्यार्थी भागाकार के गणित कर सके, निजी शालाओं के विद्यार्थियों में यह प्रमाण 18.8 प्रतिशत ही नजर आया. 8 वीं के अंक गणित के सरकारी विद्यार्थी 38 प्रतिशत भागाकार के गणित हल कर सके, निजी शालाओं के विद्यार्थियों का प्रमाण 32.3 प्रतिशत रहा. यह भी देखा गया कि सरकारी शालाओं की तुलना में निजी शालाओं के विद्यार्थी कम प्रमाण में भागाकार कर सके.
अंग्रेजी विषय के बड़े और छोटे अक्षर, सरल शब्द तथा सरल वाक्य पढ़ सकते हैं क्या, इस बात की टेस्ट करने पर राज्य में 51 प्रतिशत विद्यार्थी यह वाक्य पढ़ पाये. कक्षा 3 री के सभी बच्चों में केवल 53 प्रतिशत बच्चे वाक्यों का अर्थ सही बतला सके, कक्षा 8 वीं के 72 प्रतिशत विद्यार्थी सही अर्थ बता पाये.