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ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में नहीं होंगे चुनाव

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया निर्णय

* सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तेज हुई राजनीतिक गहमा-गहमी
* बजट सत्र के पहले ही दिन आनन-फानन में बुलाई गई मंत्रिमंडल की बैठक
मुंबई/दि.3– ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य पिछडावर्गीय आयोग द्वारा तैयार की गई अंतरीम रिपोर्ट को आज सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह कहते हुए नकार दिया गया कि, इस रिपोर्ट में राजनीतिक प्रतिनिधित्व की सही जानकारी नहीं है. जिसके बाद राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बेहद तेज हो गई है और राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के पहले ही दिन राज्य मंत्रिमंडल की अपरान्ह 1 बजे बैठक बुलाई गई. जिसमें राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि, ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव बिल्कुल भी नहीं करवाये जायेंगे.
उल्लेखनीय है कि, आगामी दिनों में राज्य की करीब 14 बडी महानगरपालिकाओं के चुनाव होनेवाले है. जिनमें मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर व अमरावती जैसी बडी व प्रतिष्ठित महानगरपालिकाओं का समावेश है. इस हेतु प्रभाग रचना भी लगभग तय हो चुकी है. लेकिन मनपा चुनाव के ऐन मुहाने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जबर्दस्त झटका दिया है. राज्य पिछडा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि, अगले आदेश तक स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के चुनाव में ओबीसी संवर्ग के लिए राजनीतिक आरक्षण नहीं रहेगा. किंतु वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाना राज्य सरकार पर भारी पड सकता है. ऐसे में राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है. यहीं वजह है कि, आज सुबह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछडावर्गीय आयोग की रिपोर्ट को खारिज किये जाते ही बजट सत्र के पहले ही दिन राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक आनन-फानन में बुलाई गई. जिसमें सरकार ने साफ तौर पर कहा कि, राज्य में ओबीसी आरक्षण के बिना कोई चुनाव नहीं करवाये जायेंगे.

* राज्य सरकार का फैसला चुनाव आयोग पर लागू नहीं
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले जब दिसंबर माह के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में ओबीसी समाज के राजनीतिक आरक्षण को तय सीमा से अधिक व अतिरिक्त आरक्षण ठहराते हुए रद्द किया था. तब भी राज्य सरकार द्वारा यहीं भूमिका अपनायी गई थी. उस समय राज्य की कई नगर पंचायतों के आम चुनाव तथा जिला परिषद व पंचायत समिती की कुछ सीटों पर उपचुनाव करवाये जाने थे. किंतु सुप्रीम कोर्ट व राज्य निर्वाचन आयोग के सामने राज्य सरकार की एक ना चली, तथा दिसंबर माह में ओबीसी आरक्षित सीटों पर चुनाव व मतदान ही नहीं हुआ, बल्कि उन सीटों को खुले प्रवर्ग में ग्राह्य मानते हुए उन पर जनवरी माह के दौरान मतदान करवाया गया था. लगभग वैसे ही कुछ हालात इस समय भी है. ऐसे में यद्यपि राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण के बिना मनपा के चुनाव नहीं करवाये जाने की बात कही जा रही है. किंतु सरकार की यह भूमिका कहां तक कारगर व असरकारी होगी, यह फिलहाल तय नहीं है. साथ ही पिछले अनुभव को देखते हुए माना जा रहा है कि, संभवत: नगर पंचायत चुनाव की तरह ही महानगरपालिकाओें व नगरपालिकाओं के चुनाव भी ओबीसी आरक्षण के बिना ही करवाने पड सकते है.

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