महाराष्ट्र

नीलामी वाले सरपंच पद के चुनाव रद्द

राज्य चुनाव आयोग का फैसला

मुंबई/दि.14 – नाशिक के देवला तहसील के उमराणे और नंदूरबार के खोंडामली ग्राम पंचायत के चुनाव में सरपंच और सदस्य पद की नीलामी का मामला सामने आने के बाद अब राज्य चुनाव आयोग ने ये चुनाव रद्द कर दिए हैं. गुरुवार को राज्य चुनाव आयुक्त यूपीएस मदान ने यह घोषणा की.
मदान ने कहा कि, अमराणे और खोंडामली ग्राम पंचायत के चुनाव में सरपंच और सदस्य पदों की खुली नीलामी के बारे में सबूत मिलने पर दोनों ग्राम पंचायत की पूरी चुनाव प्रक्रिया रद्द की गई है. दोनों ग्राम पंचायतों के चुनाव में सरपंच और सदस्य पदों की खुली नीलामी संबंधी खबरें प्रकाशित हुई थी. चुनाव आयोग को भी शिकायतें मिली थीं. इसके मद्देनजर चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी थी. जिलाधिकारी, चुनाव निरीक्षक, उपविभागीय अधिकारी और तहसीलदार की रिपोर्ट और विभिन्न दस्तावेज व वीडियो का अवलोकन करने के बाद ग्राम पंचायतों की चुनाव प्रकिया रद्द करने का फैसला किया गया है.
मदान ने बताया कि, खोंडामली नीलामी मामले में पहले ही नंदूरबार पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अधिक जांच कर भारतीय दंड विधान की धारा 171 (क) अथवा अन्य कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश नाशिक और नंदूरबार के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को दिए गए है. मदान ने कहा कि, केवल कुछ ग्रामीणों के एकतरफा दबाव के कारण इच्छुक उम्मीदवारों को खुले वातावरण में चुनाव न लडने देने और मतदाताओं को मतदान से वंचित रखने की घटना दोनों गांवों में हुई है. इससे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांत और आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है. इसलिए ऐसी स्थिति में चुनाव लडने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों को एक समान मौका नहीं मिल सकता. संविधान के तहत अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए चुनाव आयोग ने दोनों ग्राम पंचायतों को रद्द कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि, चुनाव के नामांकन को रद्द किए जाने के निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती. हाईकोर्ट ने यह फैसला सोलापुर के भोशे ग्रामपंचायत के 11 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है. एक पैनल से जुडे इन उम्मीदवारों ने रिटर्निंग अधिकारी के निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में दावा किया गया कि रिटर्निंग अधिकारी का निर्णय अवैध व मनमानीपूर्ण है. इस निर्णय के चलते याचिकाकर्ता के चुनाव लडने का अधिकार प्रभावित होता है. क्योंकि उनके नामांकन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निरस्त किया गया है.
बाम्बे हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता सोनू सूद की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. बुधवार को न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने मामले से जुडे सभी पक्षों को सुनने के बाद अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कहा कि, वे जल्द ही इस बारे में अपना फैसला सुनाएंगे. इससे पहले मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि, सूद की याचिका को खारिज कर दिया जाए.

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