मुुंबई/दि.३१ – समूचे राज्य में कोविड संक्रमण की स्थिति विस्फोटक रहने के चलते एक बार फिर सहकारी संस्थाओं के चुनाव को आगे टाल दिया गया है. ऐसे में न्यायालय के आदेश पर चुनावी प्रक्रिया शुरू करनेवाली संस्थाओं को छोडकर अन्य 45 से 50 हजार सहकारी संस्थाओं के चुनाव दो-तीन माह आगे ढकेल दिये गये है.
बता दें कि, राज्य में जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, शक्कर कारखाने, सूतगिरणी, बाजार समिती, दूध संघ व शिखर संस्था जैसी अ वर्गवाली 116 बडी सहकारी संस्थाएं है. साथ ही सहकारी व नागरी बैंक, क्रेडीट सोसायटी व कर्मचारियोें की क्रेडीट सोसायटी जैसी ब वर्गवाली मध्यम स्वरूप की 13 हजार 85 संस्थाएं है. इसी तरह छोटी क्रेडीट सोेसायटी, गृहनिर्माण संस्था व छोटे दूध संघ जैसी क वर्गवाली 13 हजार 74 संस्थाएं है. इसके अलावा ग्राहक संस्था व कामगार संस्था जैसी ड वर्गवाली 21 हजार संस्थाएं है. इन सभी 47 हजार सहकारी संस्थाओं के चुनाव विगत दो वर्ष से अटके पडे है. राज्य की आघाडी सरकार ने इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व स्थापित करने हेतु तथा बाद में विगत मार्च माह से कोविड का संक्रमण शुरू होने के चलते चरणबध्द ढंग से इस चुनाव को लटकाया रखा है. हालांकि बीच में राज्य में कोविड संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में आने के बाद सहकारी संस्थाओं के चुनाव से प्रतिबंध हटाने का निर्णय 31 जनवरी को लिया गया था. लेकिन इसके बाद राजनीतिक विरोध होने के चलते इस चुनाव को 31 मार्च तक फिर स्थगित कर दिया गया. वहीं अब विगत कुछ दिनों से समूचे राज्य में एक बार फिर कोविड संक्रमण की स्थिति चिंताजनक होने के चलते सहकारी संस्थाओं के चुनाव फिर से आगे टालने की मांग की जा रही है. ऐसे में यह चुनाव एक बार फिर आगे मुलतवी हो सकते है. ऐसी जानकारी सूत्रों के जरिये मिली है.
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आमसभा नहीं लेनेवाली संस्थाओं पर कार्रवाई
राज्य सरकार ने सहकार अधिनियम में संशोधन करते हुए सन 2019-20 के आर्थिक वर्ष में ऑडिट व अन्य कामकाज को मान्यता देने हेतु वार्षिक सर्वसाधारण सभा लेने के लिए 31 मार्च तक समयावृध्दि दी है. किंतु इस दौरान जिन संस्थाओं द्वारा वार्षिक आमसभा नहीं ली गयी, उन संस्थाओें पर अब प्रशासक की नियुक्ति की जायेगी.