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विद्युत कर्मियों की हडताल से राज्य में बिजली का संकट

पॉवर एक्सचेंज से रिकॉर्ड 9342 मेगावैट बिजली की खरीदी

नागपुर/दि.29– विद्युत कर्मचारियों की दो दिवसीय हडताल रविवार रात 12 बजे से शुरू हुई और सोमवार की दोपहर बाद से ही इस हडताल का परिणाम दिखाई देने लगा. सोमवार की दोपहर तेज धूप तपने के साथ ही मुंबई सहित समूचे राज्य में बिजली की मांग 27,530 मेगावैट पर जा पहुंची. वहीं दूसरी ओर महावितरण के पास महाजेनको व सरकारी संयंत्रों के जरिये केवल 16,712 मेगावैट बिजली उपलब्ध हो सकी. जिसके चलते पॉवर एक्सचेंज में से बेहद महंगी दरों पर 9,342 मेगावैट बिजली खरीदनी पडी, ताकि राज्य की विद्युत संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सके. साधारण तौर पर पॉवर एक्सचेंज से रोजाना डेढ से दो हजार मेगावैट बिजली खरीदनी पडती ही है. किंतु गत रोज इससे कई गुना अधिक बिजली खरीदनी पडी है.
बता दें कि, भारतीय मजदूर संघ व पिछडावर्गीय संगठन को छोडकर शेष करीब 27 कामगार संगठनों की संघर्ष समिती द्वारा शुरू की गई हडताल को देखते हुए राज्य में अत्यावश्यक सेवा यानी मेस्मा कानून को लागू कर दिया गया है. वही दूसरी ओर उर्जा क्षेत्र के निजीकरण, किसानों के लिए स्वतंत्र कंपनी के निर्माण तथा केंद्र सरकार के प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी कानून के खिलाफ कामगार संगठनों की संघर्ष समिती द्वारा यह हडताल शुरू की गई है. जिसमें लाईनमैन से लेकर उपकार्यकारी अभियंता स्तर के सभी कर्मचारी व अधिकारी शामिल हुए है. कामगार संगठनों का दावा है कि, अब धीरे-धीरे बिजली का उत्पादन करनेवाले यूनिट बंद होने लगे है. ऐसी स्थिति में राज्य बहुत जल्द अंधेरे में डूब सकता है. इस संदर्भ में वर्कर्स फेडेरेशन के कार्याध्यक्ष मोहन शर्मा ने बताया कि, संघर्ष समिती द्वारा करीब डेढ माह पहले हडताल की नोटीस दिये जाने के बाद भी व्यवस्थापन में कोई सक्रियता नहीं दिखाई. अन्यथा हडताल को टाला जा सकता था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, विद्युत कंपनियों के अधिकारी व कर्मचारी विद्युत ग्राहकों को दिक्कत में नहीं डालना चाहते, बल्कि हम केवल सरकारी नीतियों का विरोध करते हुए अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे है.

* अब कोई बैठक नहीं, बल्कि मेस्मा की कार्रवाई होगी
वहीं इस बीच राज्य के उर्जा मंत्री नितीन राउत तथा विद्युत कामगार संगठन के बीच मंगलवार को होनेवाली प्रस्तावित बैठक को रद्द कर दिया गया है. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए राज्य के उर्जा मंत्री नितीन राउत ने बताया कि, वे कर्मचारी संगठनों के साथ सकारात्मक चर्चा के लिए तैयार थे, लेकिन इस चर्चा हेतु हडताल को खत्म करने का आवाहन किया गया था. जिसे कोई प्रतिसाद नहीं मिला. ऐसे में अब हडताल पर जानेवाले कर्मचारियों के खिलाफ मेस्मा अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जायेगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, भलेही हडताल की वजह से राज्य में बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ है, किंतु बावजूद इसके कोई लोडशेडिंग नहीं होने दी जायेगी. इसके अलावा उर्जामंत्री राउत ने यह भी स्पष्ट किया कि, किसी भी विद्युत कंपनी के निजीकरण को लेकर सरकार द्वारा कोई विचार नहीं किया जा रहा.

* विद्युत केंद्रों की स्थिति (आंकडे मेगावैट में)
केंद्र       कुल क्षमता      सोमवार को हुआ उत्पादन
कोराडी    2,190             1,700
चंद्रपुर    2,920             1,766
खापरखेडा 1,340            950
भुसावल   1,250            571
परली     750                296
पारस     500                 240
जलविद्युत 2,142            1,200

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