बालकों के मानसिक स्वास्थ्य का जतन करने पर जोर
सामाजिक संस्था, शिक्षक, अंगणवाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण
मुंबई/दि.26 – कोरोना काल में छोटे बच्चों के शारीरिक लक्षणों के अनुसार ही उनके भावनिक व मानसिक स्वास्थ्य के प्रश्न पर भी वैद्यकीय निगरानी रखने की आवश्यकता है. कोरोना की तीसरी लहर में छोटे बच्चों में संसर्ग की संभावना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के जतन हेतु यह नियोजन शुरु किया है. बालरोग तज्ञों के प्रशिक्षणनुसार सामाजिक संस्था,शिक्षक,अंगणवाड़ी सेविकाओं को भी उस दृष्टि से प्रशिक्षित किया जाएगा. यह जानकारी टास्क फोर्स के सदस्यों व्दारा दी गई है.
कोरोना के भय से बच्चों का घर से बाहर निकलना बंद हो गया है. मैदानी खेलों पर भी निर्बंध आया है. घर में होने से लगातार खाते रहने का प्रमाण बढ़ा है. इंटरनेट व टीवी देखने का भी प्रमाण बढ़ा है. इन सभी का परिणाम बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर हो रहा है, ऐसा बालरोग तज्ञ डॉ. एस. मंजू ने बताया. परिवार में एखाद सदस्य को कोरोना संसर्ग हुआ हो या परिवार का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती हुआ हो तो उसका तनाव बच्चों के दिल पर पड़ता है. इस कारण बच्चों का दिनक्रम देखने, उन्हें अलग-अलग बातों में व्यग्र रखने का बड़ा आव्हान पालकों के सामने है. इस पर बालरोग तज्ञों की बैठक में हाल ही में चर्चा की गई. बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या निर्माण हुई हो या नैराश्य, एकांत रहना, बर्ताव में बदल दिखाई दिया, कोरोना पर उपचार शुरु रहते भय के कारण बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य पर असर दिखाई देने लगे तो इसके लिये कृति लेखाजोखा तैयार किया जाएगा.
सवारने की आवश्यकता
कोरोना संसर्ग में जिन बच्चों ने पालकों को खोया है, उनके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया है. कोरोना के कारण पालक को खोना पड़े तो इन बच्चों के मन पर आघात होता है. इस स्थिति में उन्हें कैसे सवारा जाये, वैद्यकीय मदद किस तरह ली जाये, इस दृष्टि से उनके साथ रहने वालों को मार्गदर्शन की आवश्यकता है.