महाराष्ट्र

पत्नी के साथ खरीदी गई संपत्ति पर पूरे परिवार का समान अधिकार

मुंबई/दि.12- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 का उपयोग संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए एक मशीनरी के रूप में नहीं किया जा सकता. यह कहते हुए अदालत ने बेटे को बडी राहत दी है. अदालत ने कहा कि पिता उन फ्लैटों का एकमात्र मालिक नहीं था, इसलिए गिफ्ट डीड को रद्द करके फ्लैटों के शेयर उसे वापस नहीं दिए जा सकते.

न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ के समक्ष पिता द्बारा उसके पक्ष में निष्पादित विभिन्न गिफ्ट डी को रद्द करने के भरण पोषण न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसके भाई ने पिता द्बारा उस हिस्से में दिए गये फ्लैटों के गिफ्ट डीड को रद्द करने के लिए उकसाया था. क्योंकि वह गिफ्ट डीड में मिले फ्लैटों में हिस्सा चाहता है. खंडपीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम की धारा 23(1)के प्रावधान का उपयोग वरिष्ठ नागरिकों के उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का विवाद को निपटाने के लिए एक मशीनरी के रूप में नहीं किया जा सकता. दुर्भाग्य से कई मामलों में यह देखा गया कि पार्टियों द्बारा इस तरह की कार्रवाई की जाती है. इसलिए ट्रिब्यूनल को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रावधान का उन बच्चों द्बारा दुरूपयोग न किया जाए, जिन्हें अचल संपत्ति में हिस्सेदारी पाने से इनकार कर दिया गया है. वरिष्ठ नागरिकों के माध्यम से आवेदन दाखिल करने पर गिफ्ट डीड रद्द हो गया.

अदालत ने ये कहा: अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता तीन फ्लैटों के पूर्ण मालिक नहीं है. उन्होंने अपनी पत्नी के साथ स्रंयुक्त रूप से फ्लैट खरीदा था. उनकी मृत्यु के बाद उनका हिस्सा उन्हें और उनके तीन बेटों को समान रूप से विरासत में मिला था. याचिकाकर्ता के पिता तीनों फ्लैटों में से किसी में भी पूर्ण मालिक नहीं है. न ही वह चार गिफ्ट डीड के रद्द होने पर पूर्ण मालिक बना जायेंगे.

Related Articles

Back to top button