पराजीत होने के बाद भी वह रहा ‘सिकंदर’
महाराष्ट्र केसरी स्पर्धा विजेता से हारे स्पर्धक की अधिक चर्चा
पुणे/दि.17 – हाल ही में हुए महाराष्ट्र केसरी के अंतिम मुकाबले में शिवराज राक्षे ने महेंद्र गायकवाड को पराजीत कर महाराष्ट्र केसरी की गदा हासिल की. इस स्पर्धा के बाद जो चर्चा शुरु हुई वह सिकंदर शेख के पराजय की व हारा कि हराया गया. ऐसी चर्चा सोशल मीडिया पर शुरु है. इस कारण मैदान में पराजीत होने के बाद भी वह ‘सिकंंदर’ साबित हुआ दिखाई देता है.
सिकंदर में हाल ही में एक वीडियो जारी कर कहा कि ‘मैं हारा कि हराया गया’ इस बाबत चर्चा करना रोक दें. इस बार तो नहीें आगामी वर्ष में महाराष्ट्र केसरी की गदा नक्की हासिल करुंगा, तुम्हारा प्यार इसी तरह कायम रहने दो. इस बार सिकंदर ने पहली मैच से आक्रामक और शानदार खेल का प्रदर्शन किया. महेंद्र गायकवाड के खिलाफ सेमी फाइनल में पहली फेरी में ही सिकंदर ने 4-1 बढत ली थी. लेकिन पश्चात सिकंदर को अंदर का पैर लगाकर बाहर फेंकने वाले महेंद्र को 4 अंक दिए जाने से सिकंदर पराजीत हुआ. क्या सचमुच सिकंदर के प्रतिद्बंदी को 4 अंक देने की आवश्यकता थी? यह अंक गडबडी मतें घोषित करने का प्रयास क्यों किया गया? ऐसा सवाल सोशल मीडिया पर उपस्थित किया जा रहा है. सिकंदर मूल सोलापुर जिले के मोहोड तहसील का निवासी है. घर की आर्थिक परिस्थिति काफी दयनीय है और हमाल का बेटा सिकंदर शेख कुश्ती का खिलाडी है. उसका सफर काफी रोमाचंक है.
* सिकंदर पर कोई अन्याय नहीं हुआ
सिकंदर पर किसी भी तरह का अन्याय नहीं हुआ है. कुश्ती के नियमों की अज्ञानता के कारण ऐसे आरोप हो रहे है. सिकंदर खतरनाक स्थिति में गिरने से महेंद्र को 4 अंक दिए गए. ऐसे समय 2 नहीं बल्कि 4 अंक दिए जाते है.
– अंपायर समिति, महाराष्ट्र केसरी
* भविष्य में होगा महाराष्ट्र केसरी
सिकंदर शेख केवल महाराष्ट्र केसरी के अंतिम मुकाबले में रहता तो कुश्ती रोमांचक होती. सेमी फाइनल में अंक गवाने के बाद भी उसने अंपायर से विवाद नहीं किया. भविष्य में वह महाराष्ट्र केसरी का हकदार रहेगा.
– अमोल बुचडे, रुस्तम-ए हिंद