महाराष्ट्र

दो माह बाद भी बिना आदेश के मंत्रियों के कार्यालय में सेवा दे रहे कर्मचारी

अब तक मंत्री आस्थापना के कर्मचारियों की नियुक्ति का आदेश नहीं हुआ जारी

केंद्र की तरह राज्य में भी आवश्यक पडताल के बाद ही नियुक्ति पर जोर
मुंबई-दि.20 मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होकर दो माह का समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद सभी 18 मंत्रियों का कामकाज देखनेवाले मंत्री आस्थापना के अधिकारियों व कर्मचारियों को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कोई मान्यता प्रदान नहीं की गई है. ऐसे मेें विगत दो माह से मंत्री आस्थापना पर रहनेवाले सभी अधिकारी व कर्मचारी किसी आदेश के बिना ही मंत्रियोें के लिए काम कर रहे है.
जानकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल में शामिल 18 में से 6 मंत्रियों ने निजी सचिव (पीएस) की नियुक्ति के लिए सिफारिश पर भेजे है. जिनकी जांच-पडताल करने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इसमें से पांच लोगों के नामों की सूची मुख्यमंत्री कार्यालय के पास भेजी है. जिस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. ऐसे में सभी 18 मंत्रियों का कामकाज सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किसी आदेश के बिना ही संभाला जा रहा है.
बता दें कि, मुख्यमंत्री शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विगत 30 जून को सरकार स्थापित करते हुए अपने पद की शपथ ली थी. पश्चात 9 अगस्त को शिंदे गुट व भाजपा के 9-9 ऐसे कुल 18 मंत्रियों की शपथविधि हुई. मंत्रिमंडल के इस पहले विस्तार को अब करीब दो माह से अधिक समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद इन 18 मंत्रियों के कार्यालय में जो अधिकारी व कर्मचारी काम कर रहे है, उन्हें अब तक सरकारी मान्यता व आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.
बता दें कि, इस समय निजी सचिव के तौर पर राधाकृष्ण विखे पाटील ने विकास पाटील, सुधीर मुनगंटीवार ने अमोल कणसे, रविंद्र चव्हाण ने एकनाथ गागरे, संजय राठोड ने डॉ. विशाल राठोड, उदय सामंत ने योगेश महांगडे, शंभुराज देसाई ने प्रल्हाद हिरामणी तथा सुरेश खाडे ने गोपीचंद कदम के नामों की सिफारिश सामान्य प्रशासन विभाग के पास की है. जहां से इन नामों की फाईल को मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है. इसके अलावा आदिवासी विकास मंत्री विजयकुमार गावित ने अपने पीएस के तौर पर विशाल सवडे के नाम की सिफारिश की है, परंतु सवडे को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने कुछ प्रश्न उपस्थित किये है. वही मंत्री पद पर रहनेवाले दादा भुसे व गुलाबराव पाटील ने किसी भी अधिकारी के नाम की अब तक पीएस के तौर पर सिफारिश नहीं की है.

* मोदी का प्रयोग मुंबई में भी
मंत्री आस्थापना पर अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति से पहले केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय की मान्यता लेनी होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से आवश्यक जांच-पडताल करने के बाद ही किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को मंत्री कार्यालय में नियुक्त किया जाता है. ठीक यही प्रयोग अब शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा अमल में लाया जा रहा है. जिसके तहत भाजपा के सभी मंत्रियों को कर्मचारियों के नामों की सूची उपमुख्यमंत्री कार्यालय में भेजने हेतु कहा गया है. वहीं शिंदे गुट के अधिकांश मंत्री राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में भी मंत्री थे. ऐसे में अधिकांश मंत्रियों ने अपने पुराने अधिकारियों व कर्मचारियों के नामों की ही दुबारा सिफारिश की है.
बता दें कि, पीएस यानी निजी सचिव ही किसी मंत्री के कार्यालय का सबसे प्रमुख व्यक्ति होता है, जो अन्य स्वीय सहायकों व विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) की सहायता से मंत्री आस्थापना के कामकाज पूरे करता है. मंत्रियों के पास आनेवाली फाईलोेें को पढकर कुछ महत्वपूर्ण सिफारिश करने तथा कुछ फाईलोें को मुख्यमंत्री कार्यालय के पास मान्यता के लिए भेजने जैसे कामों का जिम्मा पीएस के पास होता है. इसके अलावा मंत्रियोें के दौरे सहित प्रशासकीय स्तर पर होनेवाली बैठकों का नियोजन करने की जिम्मेदारी भी पीएस सहित मंत्री आस्थापना पर रहनेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर रहती है.

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