यवतमाल में तीन हजार वर्ष पुरानी विकसित नागरी संस्कृति के मिले साक्ष
पाचखेड गांव में उत्खनन के दौरान मिले अवशेष

* एक्सेलरेटर सेंटर में जांच हेतु भेजे गए सैम्पल
यवतमाल /दि.25– यवतमाल जिले में करीब तीन हजार वर्ष पुरानी नागरी संस्कृति के अवशेष मिलने का दावा नागपुर विद्यापीठ के संशोधकों द्वारा किया गया है. नागपुर विद्यापीठ के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व विभाग की टीम ने वर्ष 2023-24 के दौरान बाभुलगांव तहसील के पाचखेड गांव में उत्खनन किया था और इस उत्खनन के दौरान मिले पुरातन अवशेषों को जांच हेतु एक्सेलरेटर सेंटर में भेज दिया गया.
उक्ताशय की जानकारी देते हुए विभाग प्रमुख डॉ. प्रभास साहू ने बताया कि, पाचखेड गांव से बाहर एक पुरातत्वीय स्थल है. जहां पर गत वर्ष किए गए उत्खनन में करीब 8.73 मीटर सांस्कृतिक अवशेष बरामद हुए. जिन्हें चार कालखंडों में विभाजित किया गया. जिसके तहत पहला कालखंड लोहयुग के तौर पर चिन्हीत किया गया. जिसे उपकालखंड में विभाजित किया गया. बरामद हुए मिट्टी के बर्तनों और कलाकृतियों के अवशेषों के आधार पर सांस्कृतिक क्रम शुरु होता है. जिसके तहत लोहयुग के बाद सातवाहन कालखंड, मध्ययुगीन कालखंड व निजामकाल जैसे अलग-अलग समयों को तय किया गया. पता चला है कि, निजामकाल के दौरान इस स्थान को वॉच टॉवर के तौर पर प्रयोग में लाया जाता था.
* गोलाकार घर
संशोधन दल को मिले संरचनात्मक अवशेषों में चुने से बनी मंजिलो सहित लकडी के खंबे रहनेवाले गोलाकार घर मिले है. साथ ही मिट्टी से बने चूल्हे, पूरे घर का प्रारुप, मिट्टी के बर्तन, लोहे की वस्तुएं, अर्ध मौल्यवान पत्थरों के मनी तथा हड्डीयों से बनी वस्तुएं भी बरामद हुई है.
* लोहयुग के अवशेष रहने का दावा
नागपुर विद्यापीठ के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग प्रमुख प्रा. प्रभास साहू के मुताबिक ये अवशेष संभवत: लोहयुग के यानि आज से करीब तीन हजार साल पुराने हो सकते है. यहां से मिले सैम्पलों को एएमसी डेटींग हेतु नई दिल्ली स्थित इंटर युनिवर्सीटी एक्सलरेटर सेंटर भिजवाया गया है. जहां पर इन सैम्पलो का कारखाना निश्चित होगा. इस परीक्षण का परिणाम मई अथवा जून माह में मिलेगा. जिसके बाद ही तीन हजार वर्ष पहले के कालखंड से संबंधित दावे की पुष्टि होगी.