महाराष्ट्र

कोरोना मुक्त गांवों में तलाशें 10 वीं और 12 वीं की कक्षाएं शुरु करने की संभावना

मुख्यमंत्री ने दिए संभावना तलाशने के निर्देश

मुंबई/दि.23 – मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्कूली शिक्षा विभाग को राज्य के कोरोना मुक्त गांवों के स्कूलों में 10 वीं और 12 वीं की कक्षाएं शुरु करने के लिए संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए हैं. मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्कूली शिक्षा विभाग की बैठक हुई.
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जो गांव पिछले कई महीनों से कोरोना मुक्त हैं और भविष्य में भी गांव को कोरोना मुक्त रखने का विश्वास देंगे, ऐसे गांवों में कक्षा 10 वीं और 12 वीं की कक्षाएं शुरु करने के लिये शिक्षा विभाग संभावनाओं की तलाश करें. बैठक में स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि कोरोना के कारण दोनों अभिभावकों को गंवाने वाले विद्यार्थियों की कक्षा पहली से 12 वीं तक का शैक्षणिक खर्च सरकार उठाएगी. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के लिए आवश्यक निधि सहित प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी के लिए पेश करें.

मूल्यांकन के लिए तैयार करें प्रस्ताव

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र बोर्ड के कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों के अंक मूल्यांकन पध्दति के लिए अध्ययन पूर्ण प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये गये है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य बोर्ड के कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने के लिए सीबीएससी बोर्ड के कक्षा 12 वीं के मूल्यांकन पध्दति और राज्य बोर्ड के कक्षा 10 वीं के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के तरीके का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए. इस आधार पर कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों के मूल्यांकन पध्दति प्रस्ताव पेश किया जाए.

स्कूल फीस में हो 50 प्रतिशत कटौती

– प्रदेश कांग्रेस कार्याध्यक्ष ने मुख्यमंत्री व स्कूली शिक्षामंत्री को लिखा पत्र
प्रदेश कांग्रेस कार्याध्यक्ष व पूर्व मंत्री नसीम खान ने मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे व स्कूली शिक्षामंत्री वर्षा गायकवाड़ को पत्र लिखकर स्कूल फीस में 50 प्रतिशत की कटौती की मांग की है. खान ने कहा कि कोरोना संकट के चलते बहुत से अभिभावकों की नौकरी चली गई है. अधिकांश लोगों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए स्कूल की फीस में 50 प्रतिशत कमी कर उसे किश्तों में जमा करने की सहुलियत दी जाये. खान ने कहा कि कोरोना संकट के चलते स्कूल-कॉलेज विगत डेढ़ वर्ष से बंद है. ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है. दूसरी ओर बच्चों के अभिभावकों पर फीस जमा करने के लिए स्कूल व्दारा लगातार दबाव डाला जा रहा है.अभिभावकों की आर्थिक हालत को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो. जबरन फीस वसूलने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जानी चाहिए.

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