मुंबई/दि. 22 – आज विधानमंडल के मॉनसून अधिवेशन को सिर्फ दो दिनों का रखे जाने का प्रस्ताव पास हुआ. यह प्रस्ताव कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में रखा गया था. राज्य के अहम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विपक्ष अधिवेशन के लिए ज्यादा समय की मांग कर रहा था. लेकिन राज्य सरकार द्वारा 5 और 6 जुलाई यानी सिर्फ दो दिनों का अधिवेशन रखे जाने का निर्णय हुआ. इस पर नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस भड़क गए. उन्होंने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया और राज्य सरकार के इस निर्णय और नीतियों पर जम कर भड़ास निकाली.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एक तरफ हजारों लोगों की उपस्थिति में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन हो रहा है. बार में कितने भी लोग जाएं, चलता है. लेकिन अधिवेशन करवाने पर कोरोना का डर बताया जाता है. उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना का संकट है, यह हमें भी पता है. कोरोना में सावधानियां सबको रखनी चाहिए. लेकिन कोरोना की आड़ में सरकार की कोशिश अधिवेशन रद्द करने की है. सरकार का प्रस्ताव सिर्फ दो दिनों के लिए अधिवेशन का है. इसी का विरोध करते हुए हम कामकाज सलाहकार समिति की बैठक से बाहर आ गए.
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अधिवेशन दो दिनों का होगा, तो राज्य के मुद्दों का क्या होगा ?
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज महाराष्ट्र के सामने कितने अहम मुद्दे हैं, जिनके हल तलाशने हैं. किसानों के अनेक प्रश्न हैं. उन्हें बीमा नहीं मिला है. लेकिन किसानों की समस्याओं के लिए सरकार के पास वक्त नहीं है. विद्यार्थी तनाव में हैं. लेकिन सरकार के पास छात्र-छात्राओं के सवालों पर चर्चा के लिए समय नहीं है. ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation), मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विशेष अधिवेशन बुलाए जाने की मांग है. इन सबके बावजूद सिर्फ दो दिनों का अधिवेशन बुलाकर सरकार समस्याओं और सवालों को टालने की कोशिश में लगी हुई है.
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‘एक दूसरे को जूते मारो, या हार पहनाओ, जनता को हानि मत पहुंचाओ’
भड़के हुए फडणवीस ने और भी भड़काऊ बयान दिया. उन्होंने कहा कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी- ये तीनों पार्टियां सिर्फ़ सत्ता की मलाई खाने के लिए इकट्ठी हुई हैं. सरकार के नाकारापन की वजह से जनता का नुकसान हो रहा है. अरे आप लोग एक दूसरे को जूते मारो या हार पहनाओ लेकिन जनता को तो नुकसान मत पहुंचाओ.
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‘सरकार है कि तमाशा, समझ नहीं आता’
इसके बाद देवेंद्र फडणवीस से यह सवाल किया गया कि वे आंदोलन करेंगे क्या? तो ठाकरे सरकार पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा कि हम शांत नहीं बैठेंगे. क्या करेंगे. यह जल्दी बताएंगे. आगे उन्होंने कहा कि यह सरकार है कि तमाशा, कुछ समझ नहीं आता. तीनों पार्टियों में संवाद नहीं है, एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है. यह स्पष्ट है. लेकिन अपनी कारगुजारियों से जनता को क्यों गड्ढे में डाल रहे हो?
फडणवीस ने कहा कि सरकार की नाकामियों की वजह से ओबीसी आरक्षण गया, मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में ये मात खा गए. सरकार के मंत्री कोर्ट में मत रखने से चूक जा रहे हैं जबकि सड़कों पर मोर्चा निकाल रहे हैं. राज्य के सामने इतने गंभीर मुद्दे खड़े हैं और सरकार सिर्फ दो दिनों का अधिवेशन बुला रही है. यह जनता के अधिकारों पर कुठाराघात नहीं तो क्या है? लोकतंत्र का मज़ाक नहीं तो क्या है? इन शब्दों में देवेंद्र फडणवीस आज ठाकरे सरकार पर बरस पड़े.