महाराष्ट्र

फर्जी प्रमाणपत्र समाज को योग्य डॉक्टर की सेवा से वंचित करने जैसा

आरोपी का जमानत आवेदन खारिज

मुंबई/दि.25 – मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए फर्जी जाति प्रमाणपत्र हासिल करना समाज को योग्य डॉक्टर की सेवा पाने से वंचित करने जैसा है. ऐसे जाति प्रमाणपत्र के आधार पर दाखिला पाना खास वर्ग के पात्र विद्यार्थी को भी शिक्षा से दूर करना है. यह कहते हुए मुंबई सत्र न्यायालय ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने वाले 62 वर्षीय आरोपी यासिन मिर्जा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. जाति पडताल कमेटी ने एक छात्र के अनुसूचित जनजाति (एसटी) के जाति के प्रमाणपत्र के फर्जी पाए जाने के बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था. न्यायाधीश ने मामले से जुडे तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि, आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत है. जो दर्शाते हैं कि, आरोपी ने अनुसूचित जनजाति का फर्जी जाति प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया है. आरोपी का कृत्य काफी गंभीर है. इस तरह के अपराध से समाज एक योग्य डॉक्टर की सेवा पाने से वंचित होता है. खास वर्ग का पात्र विद्यार्थी दाखिले से दूर हो जाता है. इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है.
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि उनके खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है. उसकी इस मामले में गिरफ्तारी की जरुरत नहीं है. इसके साथ ही उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. लेकिन अभियोजन पक्ष ने दावा किया है कि, आरोपी इस मामले से जुडे अपराध का मुख्य सूत्रधार है. वह छात्रों व उनके अभिभावकों के संपर्क में था. हम इस मामले में आरोपी से पूछताछ के बाद यह पता करना चाहते है कि, फर्जीवाडे को कैसे अंजाम दिया गया? मामले से जुडे सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया और आरोपी को जरुरत पडने पर मेडिकल सुविधाएं देने को कहा.

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