महाराष्ट्र

पेरासिटामोल भरकर बेच रहे थे रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन

पुलिस के हत्थे चढ़े 4 आरोपी

बारामती / दि. 18 – देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की भारी डिमांड के बीच एक तरफ जहां इसकी कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है वहीं मुनाफाखोर नकली इंजेक्शन बेचने से भी नहीं चूक रहे हैं. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र से सामने आया है. महाराष्ट्र के बारामती में रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन बेचने के मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार (Four Arrested For Selling Fake Injection) किया गया है.
इन सभी के पास से 3 इंजेक्शन भी जब्त (Seized Three Injection) किए गए हैं. पुणे ग्रामीण के डिप्टी एसपी नारायण शिरगांवकर ने बताया कि ये सभी लोग रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन बेच रहे थे. चारों आरोपियों के पास से तीन रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इंजेक्शन पर रेमडेसिविर के लेवल गए हुए थे लेकिन उसके भीतर लिक्विड पेरासिटामोल भरा हुआ था.
देश के ज्यादातर हिस्सों में इन दिनों रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कमी देखी जा रही है. गंभीर बीमारी से जूझ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों को पर्याप्त संख्या में इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं. मेडिकल स्टोर्स पर मरीजों के परिजनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं. काफी इंतजार के बाद भी एक से ज्यादा इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है.

झारखंड, उत्तराखंड, दिल्ली और यूपी के साथ ही महाराष्ट्र में भी इसकी भारी कमी देखी जा रही है. हालात ये हो गए हैं कि मरीजों के परिजन मेडिकल स्टोर्स पर एक इंजेक्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े हैं. यूपी के प्रयागराज जिले में रेमडेसिविर के 2 हजार इंजेक्शन की मांग सामने आई है, लेकिन सिर्फ 100 ही इंजेक्शन शनिवार को मुहैया हो सके. यही वजह है कि मेडिकल स्टोर्स पर काफी मारामारी चल रही है.
प्रयागराज (Prayagraj Remedisivir Injection) में थोक में दवा बेचने वाले केमिस्टों को कंपनी की तरफ से शनिवार को इंजेक्शन की दूसरी खेप मुहैया कराई गई. डिमांड की तुलना में आपूर्ति इतनी कम है कि मरीजों के परिजन लगातार मेडिकल स्टोर्स से एक से ज्यादा इंजेक्शन दिए जाने की विनती कर रहे हैं. ज्यादा डिमांड और कम सप्लाई की वजह से मरीजों को उनकी जरूरत के हिसाब से रेमडेसिविर के इंजेक्शन मुहैया नहीं हो पा रहे हैं.
वहीं मेडिकल स्टोर्स बिना डॉक्टर के पर्चे के रेमडेसिविर इंजेक्शन देने को तैयार नहीं हैं. वहीं डॉक्टर्स भी अपनी मजबूरी का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें बाहर से इंजेक्शन लिखने के आदेश नहीं हैं, वहीं अस्पतालों में भी इंजेक्शन्स की भारी किल्लत है. वहीं मेडिकल स्टोर्स का कहना है कि अगर वह बिना पर्चे के इंजेक्शन देते हैं तो इससे उन पर ब्लैक से बेचने का आरोप लगता है. प्रशासन की तरफ से सख्त आदेश दिए गए हैं कि अस्पताल का पर्चा, मरीजों की डिटेल देखने के बाद ही रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जाएं.

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