महाराष्ट्र

पहले ठेका, फिर निर्णय

100 रूपये में राशन देने हेतु मंत्री ने दिखाई ऐसी भी तत्परता

मुंबई- दि.6 अमूमन किसी भी सरकारी योजना को अमल में लाने के लिए पहले सरकार द्वारा निर्णय लिया जाता है, फिर निविदा प्रक्रिया पूर्ण करते हुए उसका ठेका जारी किया जाता है. जिसमें अच्छा-खासा समय भी लगता है. परंतु राज्य के अन्न व नागरी आपूर्ति विभाग ने इस बार उलटी गंगा बहाते हुए कार्य करने की तत्परता को लेकर एक अनूठा उदाहरण पेश किया. जिसके तहत पहले निविदा प्रक्रिया पूर्ण की गई और ठेका भी दे दिया गया. जिसके बाद राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया. ऐसे में अन्न आपूर्ति मंत्री रविंद्र चव्हाण के इस अनूठे काम की इस समय अच्छी-खासी चर्चा चल रही है.
बता दें कि, राज्य में 7 करोड नागरिकों को दीपावली मनाने हेतु 4 खाद्य व किराणा वस्तुओं का पैकेज केवल 100 रूपये में सरकारी राशन दुकान से दिया जायेगा. इस हेतु राज्य सरकार द्वारा 513 करोड रूपये खर्च किये जायेंगे. विगत 1 अक्तूबर को सरकारी अवकाश था, लेकिन इसके बावजूद भी ई-निविदा जारी की गई तथा रविवार को दस्तावेज पेश करने हेतु कहा गया. ऐसे में मंत्रालय के अधिकारी व कर्मचारी छुट्टीवाले दिन भी काम पर आये.

* तीन संस्थाओं ने भरी निविदा
केंद्र व राज्य सरकार के अख्तियार में रहनेवाली तीन संस्थाओं ने निविदा भरी. जिसमें नैशनल को-ऑपरेटीव कंझ्यूमर फेडरेशन, महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटीव कंझ्यूमर फेडरेशन तथा सेंट्रल गर्व्हमेंट एम्प्लॉईज को-ऑपरेटीव कंझ्युमर सोसायटी का समावेश रहा. इसमें से महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटीव कंझ्यूमर फेडरेशन की निविदा सबसे कम दरवाली रहने के चलते निलामी पध्दति के तहत खाद्यान्न आपूर्ति का काम इस संस्था को दिया गया. इन संस्थाओें द्वारा खुद काम करने की बजाय आपूर्तिकर्ता कंपनी से करार किया जाता है. जिनके जरिये सरकार को खाद्यान्न की आपूर्ति की जाती है. इन संस्थाओं के जरिये करोडों रूपये के ठेके निजी कंपनियों को भी मिलते है.

* तीन दिन में ही पूर्ण हो गई पूरी प्रक्रिया
चूंकि इस कार्य के तहत 500 करोड रूपये के खाद्यान्न की खरीदी की जानी है. ऐसे में निविदा जारी होने के बाद सात दिन की अवधि देकर निविदा प्रक्रिया नियमानुसार पूर्ण करायी जानी थी. परंतु ऐसा न करते हुए केवल तीन ही दिन में पूरी प्रक्रिया को पूर्ण क्यों किया गया. यह सवाल अब उठाया जा रहा है. साथ ही यह चर्चा भी चल रही है कि, किसी विशिष्ट आपूर्तिकर्ता कंपनी का भला करने के लिए तो यह निर्णय इतनी जल्दबाजी में नहीं लिया गया.

दीपावली से पहले प्रत्येक लाभार्थी के घर में अनाज व राशन पहुंचाने हेतु निविदा प्रक्रिया को जलद गति से पूर्ण करना आवश्यक था. इससे पहले भी इस तरह के निर्णय हो चुके है. अगर निविदा प्रक्रिया को एक माह तक चलाया जाता, तो दीपावली के बाद राशन देने का कोई उपयोग नहीं होता. ऐसे में जलद गति के साथ पूरी तरह पारदर्शक तरीके से इस निविदा प्रक्रिया को पूर्ण किया गया. जिसमें एनसीडीएक्स के नियमों व शर्तों का पालन भी किया गया.
– रविंद्र चव्हाण
अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री

* कैसी होती है प्रक्रिया
पहले से चली आ रही सर्वसामान्य पध्दति के मुताबिक पहले राज्य मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिया जाता है. इसके बाद उस पर अमल करने हेतु प्रक्रिया पूर्ण की जाती है. परंतु इस मामले में पहले ठेका दिया गया और फिर निर्णय हुआ. मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में हुए निर्णयों के इतिवृत्त को अगली बैठक में कायम करने की पध्दत है. उसी तर्ज पर पहले किये गये काम को अगली बैठक में मंजूरी दी गई.

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