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जोर जबरदस्ती, जमीन कब्जाना, भाईगीरी सब अब बंद

विजय दर्डा का यवतमाल में ऐलान

* दर्डा गुट और बीजेपी में बढ सकता है संघर्ष
यवतमाल/दि. 28 – यवतमाल की राजनीति में दर्डा गुट की दोबारा एंट्री होते ही उसकी बीजेपी से संघर्ष की आशंका बढ गई है. बुधवार शाम बालासाहब मांगुलकर के सत्कार समारोह में विजय दर्डा ने शहर में जोर जबरदस्ती, जमीन हडपना, भाईगीरी सभी बंद कर देने का ऐलान किया. दूसरी ओर बीजेपी ने भी सोशल मीडिया पर विजय दर्डा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी अनेक संदेशो से दर्डा पर जमीन हडपने का आरोप कर रही है. कई पोस्ट वायरल हुई है. जिससे दोनों ओर के पदाधिकारियों की आक्रमकता सिद्ध कर रही है कि, यहां दर्डा गट और बीजेपी का संघर्ष भडकेगा.
* दर्डा का कहना – डर का जमाना खत्म
विजय दर्डा ने नवनिर्वाचित विधायक मांगुलकर के सत्कार समारोह को संबोधित करते हुए दो टूक कहा कि, यवतमाल में अब डर का दौर खत्म हो गया है. शहर में अब भाईगीरी नहीं चलेगी. संतोष ढवले ने भी सभी से एक होकर शहर की समस्याएं हल करने एवं भाईगीरी खत्म करने का आवाहन किया. विधायक मांगुलकर ने अनेक ज्वलंत समस्याओं के साथ ही पेयजल की समस्या प्राथमिकता से हल करने की बात कही. प्रचार में भी भाईगीरी का मुद्दा छाया था. सत्कार समारोह में भी दादागीरी की चर्चा होने से प्रत्येक सभा में यही बात सिद्ध हो रही है.
* आरोप-प्रत्यारोप
यवतमाल सीट से दर्डा गट ने प्रचार दौरान बीजेपी के मदन येरावार पर दादागीरी को प्रोत्साहन देने का आरोप किया. बल्कि कांग्रेस ने इसी मुद्दे पर ध्यान केंद्रीत कर 15 वर्षों बाद यहां विजय प्राप्त की. पराभव के बाद बीजेपी पदाधिकारी पलटवार का प्रयत्न कर रहे है. राज्य में विकास को नई दिशा देनेवाली सरकार स्थापित होने जा रही है. लेकिन यवतमाल के हाथ में खाली लोटा रहने के वक्तव्य किए जा रहे हैं. यह भी कहा जा रहा कि, विपक्ष के नेता पद का ही टोटा है तो हमारे विधायक की सुनेगा कौन? यह भी आरोप लगाया कि, नए विधायक के पिलांटू अब हप्ताखोरी करेंगे. बीजेपी ने वायरल पोस्ट में कष्ट उठाने की एमआईडीसी और रेलवे की जमीने किसने हडपी. खास बात यह भी है कि, चुनाव दौरान मदन येरावार ने शहर में भाईगीरी सबसे पहले किसने लाई? यह प्रश्न उठाया. येरावार ने उदय शंकर दीक्षित के मर्डर का मुद्दा उपस्थित किया. येरावार के इस वक्तव्य के वीडियो काफी वायरल किए गए थे.
* मिलने से किया इंकार
विजय दर्डा ने भाषण में दावा किया कि, चुनावी विजय के बाद बालासाहब मांगुलकर ने मदन येरावार से मिलने की इच्छा व्यक्त की तो येरावार की ओर से समय नहीं है, ऐसा उत्तर मिला. दर्डा ने कहा कि, जब भी समय मिलेगा तब हम उनसे मिलकर उनकी दिक्कत समझेंगे. प्रचार के दौरान एक-दूसरे पर चलाए गए शब्दबाणों से हुए घाव बैठक से कितने ठीक होंगे, यह भी प्रश्न है.
* पुलिस रही असफल
यवतमाल में बढते अपराधों का मामला लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में गूंजा. बल्कि इस बार चुनाव इसी मुद्दे पर लडा गया. शहर में दादागीरी खत्म करने का कर्तव्य पुलिस का है. शहर थाना और अवधूतवाडी थाने के अधिकारियों ने लगता है कि, दादागीरी के विषय को गंभीरता से नहीं लिया. पुलिस अधीक्षक कार्यालय की दीवार पर शराब के गिलास रखकर शराब पी जाती है, इससे अधिक बडी बात क्या होगी? यहां कठोर अधिकारी लाना समय की आवश्यकता बन गई है. नई सरकार स्थापना के बाद यह मांग की जाएगी.

 

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