वन विभाग के बीजयुक्त पटाखें
जमीन में फोडने से आवाज भी

पोहरा, इंदला की जिप शालाओं मेें प्रयोग
पोहराबंदी -दि.23 आम तौर पर दिवाली में पटाखें फोडने पर प्रदूषण का राग अलापा जाता है. तथा कथित पर्यावरणवादी बडा होहल्ला मचाते है. ऐसे में वन विभाग ने पर्यावरण पूरक नई तरकीब आजमायी है. जिसके अनुसार बीजयुक्त पटाखें बनाये गये है, जो जमीन में गाडने के बाद आगे लगाने पर फूटते है, किंतु उसमें रखा गया बीज जमीन में चला जाता है. कालांतर में अंकुरित होता है. यह प्रयोग यहां और आसपास के गांवों की शालाओं में अपनाया गया. जब छोटे विद्यार्थियों को ऐसे बीजयुक्त पटाखें वितरित किये गये.
* वन संरक्षक की उपस्थिति
अमरावती के वनसंरक्षक जी.के. अनारसे, उपवन संरक्षक चंद्रशेखरन बाला, सहायक वनसंरक्षक ज्योति पवार के मार्गदर्शन में वडाली वन परिक्षेत्र अधिकारी वर्षा हरणे ने वनपाल, वनरक्षक को जनजागृति की सूचना दी. उपरान्त पोहरा, इंदला, भानखेडा, उतखेड, पिंपलखुटा की जिला परिषद शालाओं में उपक्रम को प्रयोगस्तर पर अपनाया गया. बच्चों को बीज वाले पटाखें दिये गये. उन्हें पटाखें फोडने का अंदाज बताया गया. इस समय पोहरा सर्कल अधिकारी बी. आर. पानसे, वनरक्षक हेमंत पांघरे, वीरेंद्र उजैनकर, अनसार दर्जीवाले, दिनेश धारपवार, प्रीति तिवारी, तेजस्वीनी ठाकरे, जिला परिषद शाला की प्रभारी मुख्याध्यापिका विद्या पहाडे, अनिल सरदार, शालिनी बोरखडे, पद्मा चव्हाण, रेणुका बदामे आदि ने शाला परिसर में प्रायोगिक तत्व पर पटाखों को जमीन में गाडकर विद्यार्थियों को जानकारी दी.
* बीजयुक्त पटाखें ऐसे हैं
वन विभाग ने बच्चों को पेड-पौधों और जंगल का महत्व समझाया. फिर फल और सब्जियों वाले बीज डालकर बनाये गये चक्री, अनार, लवंगी पटाखें, लक्ष्मी बम, फुलझडी का वितरण किया. इसमें विविध रंग और बारुद की जगह मेथी, प्याज, टमाटर, गवार, मीर्ची, ककडी, धनिया, पालक, बैंगन, पीपल, बरगद, नीम जैसे प्रजातियों के बीज इन पटाखों में भरे गये हैं. यह पटाखें फूटते हैं. बीज जमीन में अंदर चला जाता हैं, ऐसा दावा महकमें का हैं.