पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ीं
वसूली मामले में CBI के बाद अब ईडी ने दर्ज किया केस
मुंबई/दि.११ – राज्य के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. कथित भ्रष्टाचार के आरोप में सीबाआई द्वारा दर्ज किया हुआ मामला रद्द किया जाए, इस मांग को लेकर अनिल देशमुख द्वारा दायर की गई याचिका पर उच्च न्यायालय ने चार हफ्ते बाद सुनवाई की और उन पर होने वाली कार्रवाई से संरक्षण देने की मांग को नकार दिया. अब इस मामले में अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी ने मामला दर्ज किया है.
मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली करने की मांग से संबंधित प्रकरण के आरोप की जांच करने के लिए राज्य सरकार ने न्या. कैलाश चांदीवाल की समिति गठित की है. इस जांच समिति को दीवानी न्यायालय का अधिकार दिया गया है. यानी एक तरफ अनिल देशमुख को इस जांच टीम के सवालों का सामना पड़ेगा तो तूसरी तरफ ED ने मनी लॉन्ड्रिंग प्रकरण में अनिल देशमुख पर कार्रवाई शुरू कर दी है. हर महीने 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिए जाने के मामले में ED ने ECIR दर्ज किया है. ईडी जब भी किसी मामले में कोई जांच शुरू करती है तो पहले ईसीआईआर यानी एक अधिकृत दस्तावेज रजिस्टर करती है. किसी मामले की जांच के लिए जिस तरह पुलिस सबसे पहले एफआईआर दर्ज करती है उसी तरह मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में किसी मामले की जानकारी मिलते ही जांच शुरू करने से पहले ईडी इससे संबंधित ईसीआईआर दर्ज करती है.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि परमबीर सिंह ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे और अन्य पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार और रेस्टॉरेंट से हर महीने 100 करोड़ की वसूली करने के लिए कहा था. वाजे प्रकरण में जब मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर सवाल उठने शुरू हुए तो अनिल देशमुख ने उनका मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से तबादला कर दिया था. इसके बाद परमबीर सिंह ने यह पत्र मुख्यमंत्री को भेजा था. इस प्रकरण पर वकील जयश्री पाटील व पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा इस भ्रष्टाचार प्रकरण में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने अनिल देशमुख के इस मामले की जांच सीबीआई को करने का आदेश दे दिया था.
उच्चन्यायालय द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद देशमुख ने 5 अप्रैल को गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. सीबीआई ने देशमुख की जांच की और उनके मुंबई और नागपुर के घरों और कार्यालयों पर छापे मारे. इस बीच 21 अप्रैल को सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए मामले के खिलाफ देशमुख ने 3 मई को उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. उस याचिका में देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार की मंजूरी के बिना सीबीआई केस दर्ज नहीं कर सकती. उन्होंने कहा था राजनीतिक कारणों की वजह से उनपर केस दर्ज किया गया है. सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं है.