* हाईकोर्ट के फैसले पर हस्तक्षेप करने से किया इंकार
नागपुर/दि.19– मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने 24 सितंबर को जिला परिषद की पूर्वाध्यक्ष रश्मी बर्वे के जाति वैधता प्रमाणपत्र को रद्द करने का जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति का विवादित फैसला रद्द किया था. हाईकोर्ट के इस फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की चुनौती वाली याचिका खारिज कर दी. न्या. भूषण गवई व न्या. के. वी. विश्वनाथन ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाते हुए रश्मी बर्वे को बडी राहत प्रदान की.
जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति ने 28 मार्च 2024 को रश्मी बर्वे का जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द करने का विवादित फैसला दिया था. इस फैसले के आधार पर रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से रश्मी बर्वे की उम्मीदवारी रद्द करने का फैसला लिया गया. जाति सत्यापन समिति के इस आदेश को बर्वे ने नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी थी. तब हाईकोर्ट ने समिति का विवादित फैसला रद्द कर दिया. कोर्ट ने बर्वे को जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करने का समिति को आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने जाति सत्यापन समिति के आचरण की कडी नींदा करते हुए एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. हाईकोर्ट द्वारा बर्वे को मिली क्लिन चीट को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इस विशेष अनुमति याचिका में सरकार ने हाईकोर्ट का फैसला अवैध होने का दावा किया. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी यह बात ध्यान में लेते हुए रश्मी बर्वे के वकील ने इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैवीएट दाखिल कर दिया था. इसलिए बर्वे को नोटिस के साथ सरकार की याचिका की कॉपी भी भेजी गई. इस प्रकरण में शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी. बर्वे की तरफ से वरिष्ठ विधिज्ञ दामा शेषाद्री नायडू, एड. शैलेश नारनवरे, एड. समीर सोनवणे और राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की.