महाराष्ट्र
बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी तर्कसंगत सीमा को नहीं लांघ सकती : हाई कोर्ट
मुंबई/दि. 14– बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरा कहा कि, बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को तर्कसंगत सीमा लांघने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इसके परिणाम विनाशकारी हो सकतें है. न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने मंगलवार को ऑटोमोबाइल कलपुर्जा निर्माण कंपनी ‘हिताची एस्टेमो फी’ के एक कर्मचारी की सेवा समाप्ति की व्यवस्था बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की. कंपनी के खिलाफ सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर दो पोस्ट किए जाने के बाद कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया गया था. भडकाऊ पोस्ट डालने वाले कर्मचारी की बर्खास्तगी को रद्द करने के श्रम अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कंपनी ने हाई कोर्ट का रुख किया था. न्यायमूर्ति जाधव ने आदेश में कहा कि, ये पोस्ट नफरत भडकाने के स्पष्ट इरादे से कंपनी के खिलाफ किए गए थे.