महाराष्ट्र

बाल विवाह रोकने निर्भया फंड से मांगी जाएगी राशि

ऑनलाइन संवाद में महिला व बालविकास मंत्री ठाकूर ने दी जानकारी

  • कहा- बाल विवाह भी बच्चियों की सुरक्षा का विषय

मुंबई/दि.२७ – प्रदेश में बाल विवाह प्रतिबंधक उपाय योजना के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से निर्भया फंड से राशि देने की मांग की जाएगी. राज्य की महिला व बालविकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने बुधवार को यह जानकारी दी. ठाकुर कोरोनाकाल में बालविवाह रोकने के लिए राज्य के किए गए विशेष प्रयासों को लेकर आयोजित ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में बोल रही थी. ठाकुर ने कहा कि, केंद्र सरकार से राज्य को महिला सुरक्षा की दृष्टि से उपाय योजना करने के लिए निर्भया फंड मिलता है. लेकिन बाल विवाह भी बच्चियों की सुरक्षा का विषय है. इसलिए बाल विवाह प्रतिंबधक उपाय योजना के लिए भी निर्भया फंड से राशि मिलनी चाहिए.

  • कोरोनाकाल में 560 बाल विवाह को रोकने में सफलता

ठाकुर ने बताया कि, कोरोनाकाल में राज्य में 560 बाल विवाह को रोकने में सफलता मिली है. इसमें सोलापुर में सबसे अधिक 72, औरंगाबाद में 35, उस्मानाबाद में 32 बाल विवाह को होने से रोका गया है. बाल कल्याण समिति, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी, जिला बाल सुरक्षा कक्ष, चाईल्ड लाइन, पुलिस और सजग नागरिकों के प्रयास से यह संभव हो पाया. लेकिन कई जिलों में एक भी बाल विवाह को नहीं रोका जा सका. इसके लिए रिपोर्टिंग व्यवस्था अधिक सक्षम करने की जरुरत है. इसके लिए अधिकारियों को ग्राम बाल संरक्षण समितियों को प्रशिक्षण करने, ग्राम सेवक, पुलिस तंत्र को समन्वय से काम करना चाहिए. इसके अलावा जनजागृति और प्रसार, सोशल मीडिया, पथनाटक आदि पर जोर देना चाहिए. ठाकुर ने बताया कि, विदर्भ ेकी एक नाबालिग बच्ची का बाल विवाह गुजरात में होने वाला था. जिस पर तत्काल कार्यवाही की सूचना दी गई. जिससे बाल विवाह को रोक लिया गया.

  • 18 जिलों में बाल विवाह का प्रमाण औसत से अधिक

महिला व बालविकास आयुक्त पवनीत कौर ने कहा कि, साल 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार महाराष्ट्र में बाल विवाह का प्रमाण 2015 के सर्वेक्षण की तुलना में 4 प्रतिशत से घटकर 21.9 प्रतिशत पर पहुंचा है. लेकिन मराठवाडा और खानदेश के सभी जिलों समेत 18 जिलों में बाल विवाह का प्रमाण औसत से अधिक है. कौर ने कहा कि, लॉकडाउन, स्कूल बंद, रोजगार बंद और कम खर्च में शादी होने के चलते बाल विवाह की संख्या ेंमें बढोत्तरी हुई है.

  • संशोधित नियम होंगे घोषित

ठाकुर ने कहा कि राज्य में बाल विवाह प्रतिबंधक अधिनियम 2006 के आधार पर 2008 के बाल विवाह (प्रतिबंध) नियम लागू है. लेकिन कानून को प्रभावी रुप से लागू करने के लिए नियमों की त्रुटि को दूर करना आवश्यक है. इसके लिए बाल विवाह (प्रतिबंध) नियम 2008 में संशोधन के लिए समिति गठित की गई है. समिति की सिफारिशों के अनुसार व्यापक विमर्श के बाद संशोधित नियम घोषित किए जाएंगे.

Related Articles

Back to top button