सरकारी अस्पताल में खुला जेनेरिक मेडिकल स्टोअर
स्वास्थ्य विभाग के साथ हुआ है 20 वर्ष का करार
* दवाओं के लिए मरीजों को देने होंगे पैसे
* नि:शुल्क औषधोपचार के आदेश की उडेंगी धज्जियां
अमरावती/दि.07– सरकार द्वारा घोषित निर्णयानुसार सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को हर तरह की चिकित्सा व दवाईयां नि:शुल्क उपलब्ध करवाना अनिवार्य है. लेकिन वहीं दूसरी ओर स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल परिसर में निजी जेनेरिक मेडिकल स्टोअर शुरु किया जा रहा है. जिसका काम भी पूरा हो चुका है और कुछ ही दिनों में यह मेडिकल स्टोअर शुरु हो जाएगा. जहां से मरीजों को अपनी जेब से पैसा खर्च करते हुए दवाईयां खरीदनी पडेगी. पता चला है कि, इसके लिए संबंधित जेनेरिक मेडिकल स्टोअर के संचालक द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ 20 साल के लिए करार दिया गया है. वहीं दूसरी ओर अब यह सवाल उपस्थित हो रहा है कि, जब सरकारी अस्पताल में दवाईयां नि:शुल्क मिलने की व्यवस्था है, तो फिर अस्पताल परिसर में जेनेरिक मेडिकल स्टोअर शुरु करने का क्या औचित्य है और इसके पीछे क्या उद्देश्य है.
बता दें कि, राज्य सरकार ने 15 अगस्त 2023 से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को नि:शुल्क कर दिया गया. जिसके संदर्भ में 13 अगस्त को शासन निर्णय जारी किया गया था. इस निर्णयानुसार सरकारी अस्पताल में मरीजों हेतु सभी प्रकार के औषधोपचार को अनिवार्य तौर पर नि:शुल्क किया गया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि, बाहर से दवाई लाने हेतु चिठ्ठी लिखकर देने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा यह निर्देश भी दिया गया था कि, यदि किसी कारणवश बाहर से लाकर दवाई देने की जरुरत पडती भी है, तो वह दवाई भी अस्पताल प्रशासन द्वारा खुद खरीदकर मरीजों को उपलब्ध करवाई जाएगी. ऐसे में सरकारी अस्पताल परिसर के भीतर निजी जेनेरिक मेडिकल स्टोअर को खोलने से संबंधित फैसले को लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है.
* 20 वर्ष के लिए हुआ करार
जानकारी के मुताबिक नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्यूरमेंट प्रोसेसिंग एण्ड रिलेटींग को-आपरेटीव ऑफ इंडिया नामक संस्था के साथ स्वास्थ्य विभाग ने जिला सामान्य अस्पताल परिसर में जेनेरिक मेडिकल स्टोअर शुरु करने को लेकर 20 साल का करार किया है तथा जिला सामान्य अस्पताल परिसर में इस मेडिकल स्टोअर का काम भी पूरा हो चुका है. वहीं अब सुपर स्पेशालिटी अस्पताल, जिला स्त्री अस्पताल सहित उपजिला एवं ग्रामीण अस्पतालों में भी निजी जेनेरिक मेडिकल स्टोअर खोलने से संबंधित हलचले तेज हो गई है.
* किराए पर उपलब्ध कराई गई है जगह
राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गये करार के मुताबिक सरकारी अस्पताल में जेनेरिक मेडिकल स्टोअर हेतु कंपनी को 200 से 250 चौरस फीट जगह किराए पर दी जाएगी. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, 20 वर्ष हेतु किराए पर दी जाने वाली इस जगह के लिए किराए की दरे भी काफी कम रखी गई है.
* सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत कायम
एक ओर तो सरकारी अस्पताल में दवाओं की कोई किल्लत नहीं रहने का दावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाता है. वहीं दूसरी ओर अक्सर ही सरकारी अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीजों के रिश्तेदारों को बाहर से दवा खरीदकर लाने हेतु डॉक्टरों द्वारा पर्ची लिखकर दी जाती है. साथ ही अब सरकारी अस्पताल परिसर के भीतर निजी मेडिकल स्टोअर खोलने की अनुमति भी दी जा रही है. जिससे सरकारी अस्पतालों का ‘दवा दारिद्र्य’ उजागर होता है. यद्यपि किसी आम मेडिकल स्टोअर की तुलना मेें जेनेरिक मेडिकल स्टोअर में मिलने वाली दवाईयां सस्ती होती है. लेकिन इसके बावजूद इस मेडिकल स्टोअर से दवाई खरीदने हेतु मरीजों के परिजनों हेतु अपनी जेब से पैसा खर्च करना होगा. जिसकी वजह से नि:शुल्क इलाज व चिकित्सा के आदेश की निश्चित तौर पर धज्जियां उडेगी.
सरकारी अस्पताल में मरीजों को पूरी तरह से नि:शुल्क तौर पर ही दवाईयां उपलब्ध कराई जाएगी और अस्पताल के फार्मसी स्टोर मेें सभी तरह की दवाईयों का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है. वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्यस्तर पर किये गये करार के अनुसार जेनेरिक मेडिकल स्टोअर के लिए जिला सामान्य अस्पताल परिसर में जगह उपलब्ध कराई गई है.
– डॉ. दिलीप सौंदले,
जिला शल्यचिकित्सक,
जिला सामान्य अस्पताल.