महाराष्ट्र

जेल पर्यटन को मिल रहा अच्छा प्रतिसाद

नौ दिनों में 367 लोगों ने उठाया लुप्त

  • पर्यटकों में है 41 शिक्षक व 326 छात्रों का समावेश

मुंबई/दि.19 – वैसे तो लोक कभी जेल जाने की इच्छा नहीं रखते, पर यहां तो लोग खुशी-खुशी जेल जाने को तैयार हैं. महाराष्ट्र में शुरू जेल पर्यटन को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. पुणे की येरवडा जेल में शुरू किए गए जेल पर्यटन के लिए छात्रों-शिक्षकों में आकर्षण नजर आ रहा है. नौ दिनों में 367 लोगों ने येरवडा जेल के पर्यटन का लुप्त उठाया है. इसमें 326 विद्यार्थियों और 41 शिक्षक शामिल है. फिलहाल येरवडा जेल में पर्यटन के लिए आनेवाले छात्र और शिक्षक सभी पुणे जिले के ही हैं.
गुरूवार को प्रदेश सरकार के गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल स्कूलोें के छात्र और शिक्षकों से येरवडा जेल पर्यटन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है. लेकिन आनेवाले समय में जेल पर्यटन के लिए लोगों को शुल्क देना पडेगा. इसके लिए गृह विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसको वित्त विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. प्रति व्यक्ति पांच अथवा दस रूपए शुल्क की राशि तय की जाएगी. अधिकारी ने कहा कि जेल पर्यटन को 26 जनवरी से शुरू किया गया था. कोरोना काल होने के कारण फिलहाल दूसरे जिलों के स्कूलों के विद्यार्थी नहीं आ रहे हैं. पर हमें उम्मीद है कि स्थिति सामान्य होने पर शिक्षा संस्थानों और महाविद्यालयोें के विद्यार्थियों का अच्छा प्रतिसाद मिलेगा. अधिकारी ने कहा कि कोरोना संकट के कारण जेल पर्यटन के लिए नियमावली तय की गई है.
इसके अनुसार हर रोज 50 लोगों को ही जेल पर्यटन के लिए अनुमति दी जाती है. पर्यटन के लिए आनेवाले लोगों को येरवडा जेल के अधीक्षक के पास पंजीयन कराना पडता है. स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक आस्थापना, गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि येरवडा जेल के ऐतिहासिक स्थल देख सके, इसके लिए जेल पर्यटन को शुरू किया गया है.

गांधी, नेहरू, सरदार भी यहां रह चुके है

येरवडा जेल में आजादी के समय कई स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों और नेेताओं को बंद किया गया था. येरवडा जेल में महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, सरोजिनी नायडू, सुभाषचंद्र बोस, मोतीलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसी हस्तियां इस जेल में रही है. येरवडा जेल में ही मुंबई के 26 नवंबर 2008 आतंकी हमले के आरोपी अजमल कसाब को फांसी दी गई थी.

इन जेलोें में बन सकते है कैदी

पुणे की इस जेल में फिलहाल केवल छात्रों व शिक्षकोें को ही जाने की अनुमति है. पर तेलंगाना की सबसे पुरानी सेंट्रल जेल को 2016 में टूरिस्ट स्पॉट बनाया गया था. 220 साल पुरानी इस जेल में आम लोग बिना किसी जुर्म के 500 रूपए देकर जेल में घुम सकते है. 2018 में इस जेल में पैसे देकर रूकने की व्यवस्था भी की गई. केरल की विय्युर सेंट्रल जेल में लोग पैसे देकर रह सकते हैं. यहां पैसे चुकाकर कैदियोें की तरह जिंदगी बितायी जा सकती है. भारत की सबसे बडी तिहाड जेल दिल्ली में भी पर्यटक जा सकते हैं.

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