घुग्घुस है महाराष्ट्र का सबसे प्रदूषित स्थान
प्रदूषण के चलते परिसरवासी कई बीमारियों की चपेट में
* सरकार कर रही समस्या की अक्षम्य अनदेखी
नागपुर/दि.30– एनर्जी एन्ड रिसर्च इन्स्टिट्यूट द्वारा वर्ष 2018-19 को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार चंद्रपुर के पास स्थित घुग्घुस महाराष्ट्र में सबसे प्रदूषित स्थान रहने की बात सामने आयी है. इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद थी कि, सरकार द्वारा आवश्यक उपाय किये जायेंगे. किंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिसके चलते इस प्रदूषण की वजह से विभिन्न बिमारियों का संक्रमण झेल रहे घुग्घुसवासियों को निराशा का सामना करना पडा. वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में फैले वायू प्रदूषण की वजह से नागरिकों की किडे-मकौडों की तरह मौत होने के बावजूद चंद्रपुर के जिलाधीश कार्यालय एवं महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी गहरी नींद में है और उनके द्वारा इस समस्या की अनदेखी की जा रही है.
इस रिपोर्ट के अनुसार रिस्पायबल सस्पेंडेड पार्टीक्यूलेट मैटर (आरएसपीएम) का औसत स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निर्धारित की गई अधिकतम सीमा से तीन गुना अधिक है. 60 माईक्रोग्राम प्रति घन मीटर की अधिकतम सीमा की तुलना में वर्ष 2018-19 के दौरान यह प्रमाण 175 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर था, जो वर्ष 2017-18 में बढकर 298 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक बढ गया था. आरएसपीएम के इस उच्चतम स्तर की वजह से घुग्घुस परिसर में रहनेवालों की हृदयाघात के चलते मौत होने का प्रमाण बढ गया है. साथ ही कई लोगों को किडनी, स्तन, फुफ्फुस, त्वचा व आंखों से संबंधित बीमारियों ने घेर रखा है. यहीं वजह है कि, अपने कामकाज व रोजगार के लिए मजबूरी में यहां पर रहनेवाले कई लोगों ने अपने परिजनों को नागपुर अथवा अन्य स्थानों पर रहने के लिए भेज दिया है.
बता दें कि, घुग्घुस में स्पंज ऑयल, सिमेंट व कोयले की खदानें है और स्पंज ऑयल प्लांट को सबसे प्रदूषित उद्योगों में से एक माना जाता है. जिसके चलते दुनिया के कई देशों सहित देश के कई राज्योें द्वारा इस उद्योग को प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन विगत अनेक वर्षों से यह उद्योग घुग्घुस की हवा में खुले तौर पर जहर घोल रहा है. इस प्लांट से लोहे के बेहद सूक्ष्म कण हवा में उत्सर्जित होते है और इंसानी फुफ्फुस में प्रवेश करने के साथ ही रक्त प्रवाह में शामिल हो जाते है. यही वजह है कि घुग्घुस परिसर में रहनेवाले 30 साल से कम आयुवाले युवा हृदयाघात का शिकार है और 20 वर्ष की आयुवाले कई युवा कैन्सर की चपेट में है. इस समय घुग्घुस के हर तीसरे घर में कोई न कोई व्यक्ति कैन्सर का मरीज है और यदि यह स्थिति ऐसे ही जारी रहती है, तो जल्द ही घुग्घुस परिसर के हर एक घर में कैन्सर का मरीज रहेगा. इस शहर में त्वचा की एलर्जी, दमा तथा हृदय संबंधी बीमारियों का प्रमाण लगातार बढता जा रहा है. जिसकी वजह से घुग्घुस परिसर में सेप्ट्रीझिन नामक एंटी एलर्जीक दवाई की बिक्री काफी अधिक होती है.
* प्रदूषण का परिणाम
* आरएसपीएम
– असमय मृत्यु
– श्वसनसंबंधी बीमारियां
– वनस्पतियों के उगने पर परिणाम
* नायट्रोजन ऑक्साईड
– श्वसन प्रणाली पर परिणाम
– वनस्पतियों के उगने पर परिणाम
– आम्ल वर्षा
– जलस्त्रोंतों का प्रदूषण
* सल्फरडाय ऑक्साईड
– श्वसन संबंधी बीमारियां
– आंखों में जलन
– वनस्पतियों पर परिणाम
* वर्ष 2018-19 में प्रदूषण का स्तर
घटक तय मर्यादा घुग्घुस में प्रमाण
एसओ-2 50 4
एनओएक्स 40 29
आरएसपीएम 175