महाराष्ट्र

मराठा समाज को आरक्षण दो, अन्यथा होंगे गंभीर परिणाम

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने दी सरकार को चेतावनी

मुंबई/दि.5 – तमिलनाडू राज्य ने आरक्षण की अधिकतम सीमा को पार कर लिया. इसके बावजूद उनके आरक्षण को स्थगिती नहीं मिली. ऐसे में यह साफ है कि, मराठा आरक्षण को लेकर राज्य की उध्दव ठाकरे सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास पूर्व ढंग से अपना पक्ष रखने में असफल रही. जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर स्थगनादेश जारी किया. ऐसे में यदि राज्य सरकार जल्द से जल्द इस गतिरोध को खत्म कर मराठा समाज को आरक्षण नहीं देती है, तो सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे. इस आशय की चेतावनी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने राज्य सरकार को दी है.
यहां पर मीडिया के साथ बातचीत करते हुए चंद्रकांत पाटील ने मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार पर जबर्दस्त हल्लाबोल किया. साथ ही कहा कि, जातिगत आरक्षण देना केंद्र सरकार का नहीं बल्कि राज्य सरकार का विषय है. हालांकि अब केंद्र सरकार को इस पर अपनी रिपोर्ट देनी है. उन्होंने कहा कि, तमिलनाडू सरकार ने आरक्षण की अधिकतम सीमा को पार करते हुए अपने स्तर पर आरक्षण दिया. साथ ही अन्य कुछ राज्योें में भी अपनी ताकत के बलबूते आरक्षण दिया है. इसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने दम पर आरक्षण देना चाहिए. पाटील के मुताबिक केंद्र सरकार की भुमिका केवल 10 फीसदी आरक्षण से संंबंधित है.
पाटील ने बताया कि, आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय करने के साथ ही यह भी कहा कि, असाधारण स्थिति में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को पार किया जा सकता है. इसी आधार पर मराठा आरक्षण का विषय जब मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए गया था, तो तत्कालीन फडणवीस सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट को अपने पक्ष में सहमत किया था. जिसकी वजह से मराठा समाज को आरक्षण मिलने के साथ ही पिछडा वर्ग आयोग को मंजूरी मिली थी. किंतु यही मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गया तो राज्य सरकार वहां पर अदालत को अपने पक्ष में सहमत करने में असफल रही.

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