* संजय राउत का बयान
मुंबई./दि.14 – शिवसेना उबाठा नेता संजय राउत ने आज कबूल किया कि, महाराष्ट्र में सत्ता दौरान शिवसेना, कांगे्रस और राकांपा में जो समन्वय था वह अब नजर नहीं आता. मुंबई में मीडिया से बोलते हुए राउत ने खेद जताया कि अमरावती में कांगे्रेस ने ठाकरे सेना का उम्मीदवार दिया. यह सीट हम पूरे दमखम से लड सकते थे. राउत ने नाशिक में समर्थन का निर्णय मातोश्री की बैठक में होने का दावा किया.
राउत ने कहा कि आघाडी सरकार दौरान तीनो दलों मेें उत्तम तालमेल था. वहीं एकता विरोधी दल के रुप में काम करते समय भी रहनी चाहिए थी. शिवसेना की यही भूमिका है. आगे सभी लडाई मिलकर लडे.
संजय राउत ने कहा कि विधान परिषद चुनाव को लेकर गडबडी हुई है. कांग्रेस यह नकर नहीं सकती. इसमें आघाडी के रुप में ही ध्यान दिया जाना चाहिए था. सभी पांच स्थानों पर चुनाव को लेकर, बैठकर भूमिका तय करनी थी, चर्चा करनी थी. वह दिखाई नहीं दी.
संजय राउत ने कहा कि नागपुर कहो या अमरावती. दोनों स्थानों के बारे में जिम्मेदारी से निर्णय आवश्यक था. अमरावती में कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं था. उन्होंने हमारा उम्मीदवार लिया. हम क्यों नहीें लडे. हम यह सीट मांग ही रहे थे. हमारे बुलढाणा जिला प्रमुख धीरज लिंगाडे ने तैयारी कर रखी थी. कांगे्रस ने ही उन्हें उम्मीदवारी दी. यह सीट शिवसेना लडती तो अधिक दमखम से लडती. राउत ने कहा कि नाशिक में भी गडबडी हो गई. इस संदर्भ में किसी को दोष देकर फायदा नहीं. ऐसी घटनाएं सभी दलोें में होती रहती है. तांबे परिवार कांगे्रस का निष्ठावान परिवार है. कल जाकर वे और कैसा निर्णय लेते है, उनके दिमाग में क्या चल रहा है, यह किसे पता है. एक प्रश्न के जवाब में संजय राउत ने कहा कि आंबेडकर के साथ चर्चा शुरु है. इस बारे में शिवसेना ने दोनों दलों, कांगे्रस तथा राकांपा को सब बता दिया है.