महाराष्ट्र

सरकारी स्कूलों के आने लगे अच्छे दिन

असर की रिपोर्ट से सामने आयी जानकारी

मुंबई/ दि.18 – अभिभावक अपने पाल्यों को निजी स्कूलों में दाखिल कर उनके बेहतर भविष्य को संजोने का सपना देखते है और उन्हें निजी स्कूलों में प्रवेश दिलवाते है, लेकिन कोरोना के बाद से अभिभावकों का मन अब पूरी तरह से बदलते हुए देखने को मिल रहा है. जिसके चलते अब सरकारी स्कूलों के अच्छे दिन आने लगे है. निजी शालाओं से सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों का प्रमाण बीते दो वर्षों में बढ गया है. राज्य में शासकीय स्कूलों में छात्रों की संख्या साढे नौ फीसदी तक बढ गई है. जबकि देश स्तर पर यह प्रमाण 6 फीसद है. असर की रिपोर्ट से यह बात सामने आयी है.
यहां बता दें कि, प्रथम फाउंडेशन संस्था की ओर से प्रति वर्ष देशभर के शालेय स्तर की शैक्षणिक स्थिति का अवलोकन किया जाता है. दो वर्षों से देशभर के स्कूलों में प्रत्येक कक्षाओं में होने वाली पढाई की जगह ऑनलाइन क्लासेस ने ली है. कोरोना के बढते प्रकोप का परिणाम शिक्षा क्षेत्र पर भी बडे पैमाने पर होता दिखाई दे रहा है. इसी पार्श्वभूमि पर प्रथम फाउंडेशन ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों के हालतों का मुआयना कर वार्षिक रिपोर्ट पेश की है. राज्य के 910 गांव के 6 से 16 आयु समूह के 4 हजार से अधिक छात्रों की जानकारी संकलित की गई है. बीते कुछ वर्षों से गल्ली-गल्ली में स्थापित निजी स्कूलों के बाहर प्रवेश के लिए अभिभावकों की लगने वाली लंबी कतारे और पटसंख्या घटने से सरकारी स्कूलों को बंद करना पडा था, लेकिन कोरोना काल में इस हालात में काफी बदलाव देखने को मिला है.
साल 2018, 2020 और 2021 इस दौर में निजी स्कूलों की पटसंख्या में कमी आयी है. जबकि शासकीय स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या बढ गई है. राज्य में साल 2018 की तुलना में इस शैक्षणिक वर्ष में सरकारी स्कूलों की पटसंख्या साधारणत: साढे नौ फीसदी तक बढ गई हैं. देश स्तर पर यहीं हालात नजर आ रहे है. निजी स्कूलों में पढने जाने वाले छात्रों का प्रमाण 32.5 फीसद से 24.4 फीसदी तक कम हुआ है. इसमें भी लडकों की तुलना में लडकियों ने सरकारी स्कूलों में प्रवेश बडे पैमाने पर लिया है.

निजी ट्युशन के प्रति रुझान बढा
स्कूलों के माध्यम से करायी जाने वाली ऑनलाइन पढाई से ज्यादा निजी ट्युशन पर ज्यादा ध्यान दिया गया. राज्य में 2018 की तुलना में इस बार निजी ट्युशन में दाखिला लेने वाले छात्रों का प्रमाण 20.7 फीसदी से बढा.

स्मार्ट फोन का इस्तेमाल भी बढा

स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर यह पढाई के मुख्य माध्यम बनने के बाद बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन देने का प्रमाण भी बढ गया है. साल 2018 में 42.3 फीसद बच्चों के पास स्मार्ट फोन था. यह प्रमाण 2021 में 85.5 फीसदी तक बढ गया है. बावजूद इसके साधारण 10.3 बच्चे इन साधनों के अभाव के चलते ऑनलाइन पढाई से दूर है.

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