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महाराष्ट्र में भाजपा-शिंदे गुट की बन सकती है सरकार

राकांपा भी है ‘वेट एंड वॉच’ मोड में, अपने लिए खोज रही अवसर

मुंबई/दि.24– शिवसेना अब लगभग पूरी तरह से टूट की कगार पर है और पार्टी में स्पष्ट रूप से दो-फाड़ हो चुकी है. उध्दव ठाकरे की शिवसेना पर अब विधायकों की संख्या के अनुसार बागी नेता एकनाथ शिंदे का कब्जा होने जा रहा है. ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत नई करवट लेने जा रही है, जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे के सामने इस्तीफा देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, महाराष्ट्र की सियासत में अब आगे क्या होगा, राजनितिक विश्लेषकों के मुताबिक महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद मिड टर्म इलेक्शन और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के दो ही विकल्प हैं. चूंकि केंद्र में भाजपा की सरकार है, ऐसे में फिलहाल मिड टर्म इलेक्शन की गुंजाइश कम ही है. ऐसे में संभावना है कि राज्य में भाजपा और शिवसेना यानी शिंदे गुट के गठबंधन की सरकार बने और सरकार बनने की स्थिति में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री व एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बन सकते है. हालांकि, अभी विधायकों की योग्यता को लेकर शिवसेना के बीच लंबी लड़ाई भी चल सकती है, जिसके कारण महाराष्ट्र का सियासी संकट थोड़ा लंबा चल सकता है.
* महाराष्ट्र का सियासी गणित
गुवाहाटी के फाइव स्टार होटल में एकनाथ शिंदे ने 42 शिवसेना और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ फोटो जारी कर शक्ति प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना के शिंदे गुट द्वारा की गई बगावत अब रंग दिखाने लगी है. महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे 37 शिवसेना विधायकों और 9 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी के एक होटल में कैद हैं. शिवसेना के 37 विधायकों का हस्ताक्षर किया हुआ लेटर भेजकर उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरी जिरवल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत को बताया है कि अब वे शिवसेना विधायक दल के नेता हैं. एकनाथ शिंदे ने भरत गोगावले को मुख्य प्रतोद नियुक्त किए जाने की जानकारी भी दी है. इस पद पर पहले सुनील प्रभु कार्यरत थे. शिंदे की सेना में आज 3 शिवसेना और 5 निर्दलीय विधायकों के जुड़ने की संभावना है. वर्तमान में उनके पास आधिकारिक रूप से 46 विधायकों का समर्थन है.

* 12 बागी शिवसेना विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग
शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे अपना सरकारी आवास छोड़ कर मातोश्री में रहने के लिए चले गए हैं. वहीं शिंदे के साथ जाने वाले 12 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पार्टी ने डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिखी है. इस बीच शिवसेना के नेता अजय चौधरी ने डिप्टी स्पीकर नरहरी के समक्ष एक याचिका दायर की है. इसमें 12 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है. इन पर गुरुवार को उद्धव ठाकरे द्वारा बुलाई बैठक में शामिल नहीं होने का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि बैठक से पहले नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए, तो संविधान के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

* 12 विधायकों पर डिप्टी स्पीकर को लेना है फैसला
शिवसेना ने जिन 12 बागी विधायकों के नाम अयोग्यता के लिए प्रस्तावित किए हैं उनमें एकनाथ शिंदे, प्रकाश सुर्वे, तानाजी सावंत, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीप भुमरे, भरत गोगावाले, संजय शिरसातो, यामिनी यादव, अनिल बाबरी, बालाजी देवदास और लता चौधरी शामिल हैं. अब डिप्टी स्पीकर को इनके भविष्य पर फैसला लेना है. इस ऐक्शन पर एकनाथ शिंदे ने पलटवार करते हुए पूछा कि आप किसे डराने की कोशिश कर रहे हैं? शिंदे ने कहा कि वह नियम कानून जानते हैं. वजह ये कि हम वंदनीय शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के असली शिवसैनिक हैं, असली शिवसेना हैं.

* शिंदे ने उद्धव समर्थित विधायकों पर एक्शन की बात कही
बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव गुट के विधायकों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है. शिंदे ने आगे कहा, ’आप किसे धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं? हम आपकी चालबाजियों को जानते हैं और कानून को भी अच्छी तरह समझते हैं. संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, व्हिप विधायी कार्यों के लिए लागू होता है न कि किसी बैठक के लिए. हम इसके बजाय आपके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं, क्योंकि आपके पास (विधायकों की) पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन फिर भी आपने 12 विधायकों का एक समूह बनाया है. हम इस तरह की धमकियों पर कोई ध्यान नहीं देते हैं.’

* इन 8 प्वॉइंट में समझ सकते हैं कि महाराष्ट्र की सियासत किस करवट बैठ सकती है
– उद्धव के सामने सरकार से पहले पार्टी बचाने का संकट
55 में से 37 शिवसेना विधायकों को अपने साथ बताते हुए एकनाथ शिंदे यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पार्टी नहीं तोड़ी है, बल्कि असली शिवसेना उनके साथ ही है. हालांकि, शिवसेना पर दावा जताने के लिए शिंदे को बड़ी संख्या में सांसदों का भी समर्थन चाहिए होगा. यह भी जानकारी सामने आ रही है कि 17 शिवसेना सांसद भी एकनाथ शिंदे का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे के पास अब सरकार से पहले अपनी पार्टी बचाने की चुनौती है.
-फ्लोर टेस्ट की संभावना: शिवसेना की तरफ से इस ऐक्शन के बाद महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट की संभावना बढ़ गई है. अब दोनों धड़ों को अपना बहुमत साबित करना होगा. इससे पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी कहा था कि सरकार बचेगी या नहीं, यह फ्लोर टेस्ट से पता चलेगा. कांग्रेस की ओर से भी फ्लोर टेस्ट की बात कई नेताओं की ओर से कही जा रही है.
– विधानसभा में साबित करना होगा बहुमत: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं. राज्यपाल को दक्षिण मुंबई के रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ऐसे में पहली बात ये है कि मुख्यमंत्री अगर सदन के विघटन की सिफारिश करते हैं, तो राज्यपाल कह सकते हैं कि बहुमत साबित कीजिए. उसके बाद सिफारिश पर विचार किया जाएगा. बहुमत सदन के अंदर ही सिद्ध हो सकता है, तो सदन की बैठक बुलानी होगी. सदन में ही ये तय होगा कि बहुमत है कि नहीं.
– भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं शिंदे: शिवसेना के 37+3 (संभावित) और 9 +5 (संभावित) निर्दलीय विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे, भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनेंगे.
– महाराष्ट्र में लग सकता है राष्ट्रपति शासन: संविधान के जानकारों की माने, तो अगर एकनाथ शिंदे 37 विधायकों का आंकड़ा नहीं छू पाते हैं, तो उनके हाथ से पार्टी भी जाएगी और उनकी सदस्यता भी रद्द होगी. ऐसे में बहुमत न उद्धव के पास होगा, ना देवेंद्र फडणवीस के पास और संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
– बागी विधायक दे सकते हैं इस्तीफा: ऐसा भी हो सकता है कि शिवसेना के बागी विधायक इस्तीफा दे दें और उपचुनाव में भाजपा के टिकट से ये विधायक जीतकर आएं. अगर वो जीतते हैं तो भाजपा की सरकार बन सकती है. ऐसी स्थिति कर्नाटक में भी आ चुकी है, जब कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जदयु) के विधायकों ने एक के बाद एक इस्तीफा देना शुरू कर दिया था.
-शिंदे की सारी शर्तों को मान लें ठाकरे: यह भी संभावना है कि उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे की सारी बात मान लें और भाजपा के साथ चले जाएं. इस स्थिति में भी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा. हालांकि, यह संभावना सबसे कम नजर आ रही है.
– राकांपा-भाजपा सरकार भी बन सकती है : पिछले तीन दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें, तो राकांपा कोटे से मंत्री अजित पवार, छगन भुजबल और जयंत पाटिल ने मौजूदा परिस्थिति के लिए भाजपा को जिम्मेदार नहीं ठहराया है. वे इसे शिवसेना का अंदरूनी मामला बताते हुए भाजपा को क्लीनचिट दे रहे हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि राकांपा के कुछ बड़े नेता भाजपा की केंद्रीय टीम के टच में हैं. ऐसे में यह भी संभावना है कि राकांपा व भाजपा साथ मिलकर सरकार बना सकती है.
– शिवसेना में पहले भी हुई बगावत: 2014 में भाजपा के साथ न जाने पर पार्टी तोड़ने को तैयार था शिंदे गुट, उस समय भी उद्धव को झुकना पड़ा था.

* महाराष्ट्र में विधानसभा का गणित
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं. भाजपा के पास कुल 106 विधायक हैं, साथ ही कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन भाजपा के साथ है. महाविकास आघाड़ी के पास कुल 169 विधायकों का समर्थन है. सरकार के लिए 144 विधायकों का समर्थन जरूरी है.

* शिंदे गुट पर नहीं लागू होगा दल-बदल कानून
शिंदे गुट का कहना है कि उनके पास पार्टी के दो तिहाई, यानी 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है. ऐसे में उन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता है.

* आइए जानते हैं कि क्या होता है दल-बदल कानून
1967 के आम चुनाव के बाद विधायकों के इधर-उधर जाने से कई राज्यों की सरकारें गिर गईं. इसे रोकने के लिए दल-बदल कानून लाया गया. संसद ने 1985 में संविधान की दसवीं अनुसूची में इसे जगह दी. इस कानून के जरिए उन विधायकों/सांसदों को सजा दी जाती है जो दल बदल करते हैं. इसमें सांसदों/विधायकों के समूह को दल-बदल की सजा के दायरे में आए बिना दूसरे दल में शामिल होने (विलय) की इजाजत है.
यह कानून उन राजनीतिक दलों को सजा देने में अक्षम है जो विधायकों/सांसदों को पार्टी बदलने के लिए उकसाते हैं या मंजूर करते हैं. एक दल को किसी अन्य राजनीतिक दल में विलय की अनुमति है. शर्त इतनी है कि उस दल के न्यूनतम दो तिहाई सदस्य विलय के पक्ष में हों.
ऐसी स्थिति में जनप्रतिनिधियों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा और न ही राजनीतिक दल पर.

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