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मुंबई प्रतिनिधि/दि. ९ – कोरोना को संविधान संक्रमित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. राज्य सरकार आपदा प्रबंधन कानून के सहारे निजी गैर अनुदानित स्कूलों को फीस बढाने से नहीं रोक सकती, यह संविधान के अनुच्छेद १९ के विपरित है. कल गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय (Mumbai High Court) शैक्षणिक संस्थानों की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश सालवे ने उपरोक्त दलीले दी. सरकार की ओर से सभी स्कूलों को शैक्षणिक सत्र २०२०-२१ दौरान फीस न बढाने के आदेश जारी किये गए है. जिसके खिलाफ एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्कूल व अन्य एजुकेशन ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. मुख्य न्यायमूर्ति दिपांकर दत्ता की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई ली गई. इस दौरान हरिश सालवे ने कहा है कि फीस नियंत्रण से जुडा कानून आपदा प्रबंधन कानून के विपरित नहीं है. उन्होंने कहा कि क्या आपदा प्रबंधन कानून के तहत टाटा, बिर्ला व रिलायन्स को ५० करोड रुपए जमा करने के लिए कहा जा सकता है. क्या इस कानून के तहत राज्य सरकार केंद्र के प्रस्ताव के अंतर्गत १४ से १५ प्रतिशत वस्तु व सेवा कर बढा सकती है? यदि बढा भी दे तो इसे अदालत रद्द कर देगी. उन्होंने कहा कि कोरोना को हमने अपने संविधान को संक्रमित नहीं करने देना चाहिए. राज्य सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निजी स्कूलों को फीस बढाने से रोका है, इसलिए इस संदर्भ में ८ मई २०२० को जारी किये गए शासनादेश को रद्द कर दिया जाए क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत इस तरह का शासनादेश नहीं जारी किया जा सकता. खंडपीठ ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई लेने के आदेश दिये है.