महाराष्ट्र

सरकारी बिजली प्रकल्प ने निजी कंपनियों पर की जीत हासिल

दो महिने से बंद रखने पडे है तीन बिजली केन्द्र

हिं.स./ मुंबई – निजी क्षेत्र यानी कार्यक्षमता और सहकारी कामकाज केवल लापरवाही यही हम सब सोचते है. लेकिन महानिर्मिति और राष्ट्रीय औष्णिक बिजली निर्मिति महामंडल इन दो सरकारी बिजली कंपनियों ने एक रिकॉर्ड बनाया है. कोयला प्रबंधन से बिजली निर्मिति का खर्च कम करते हुए देश की बलशाली बिजली कंपनियों के दरोंं की स्पर्धा में जीत हासिल की है. नतीजतन १९८० मेगावॅट क्षमता के तीन बिजली केन्द्र २ महिनों से बंद रखने की नौबत निजी कंपनियों पर आन पडी है.

यहां बता दे कि महानिर्मिति की ओर से दक्षिण क्षेत्र की कोयला खदानों से कोयला लेने से इनकार करने के बाद वह विदर्भ व आसपास के वेस्टर्न कोल्डफील्ड की खदान से मिलना चाहिए. यह आग्रह रखा. इसलिए कोयले की ढुलाई खर्च में बडी बचत हुई. इसके अलावा वेस्टर्न कोल्डफील्ड की दो नई खदानों के कोयले की गुणवत्ता बेहतर होने से बिजली निर्मिति के लिए बेहतर उष्मांक मिलने से नियमित रूप से कम कोयले का उपयोग करना पडा. कोयला प्रबंधन के माध्यम से दुगना लाभ होने से महानिर्मिति का बिजली निर्मिति दर ३० से ४० पैसे कम हुआ. जिससे औसतन बिजली निर्मिति खर्च ९ फीसदी कम हुआ.

परिणामस्वरूप बिजली आयोग ने सस्ती बिजली के निकषों पर निर्धारित आपूर्तिदारों की क्रमवारी में महानिर्मिति अग्रसर हुई है. वहीं राष्ट्रीय औष्णिक बिजली निर्मिति महामंंडल के सोलापुर व मौदा प्रकल्प के लिए वेस्टर्न कोल्डफील्ड की खदान से कोयला मिलने का आग्रह प्रबंधन ने रखा. जिससे यातायात खर्चे में बचत होने से सोलापुर के प्रकल्प बिजली निर्मिति का खर्च ३२ पैसे से कम हुआ. वहीं मौदा में २४ पैसे से कम हुआ. सोलापुर प्रकल्प शुरू होने के बाद तीन वर्षो तक महंगी बिजली के लगभग बंद ही था. वह अब निर्मित बिजली आपूर्ति कर रहा है.

महानिर्मिति व एनटीपीसी के बिजली प्रकल्प

कोयला प्रबंधन से सस्ती बिजली निर्माण कर रहे है. वहीं निजी बिजली कंपनियों का एक प्रकल्प के कुल तीन बिजली केन्द्र की १९८० मेगावॅट की बिजली के दर स्पर्धा में पीछे रह गये है. इन तीनों केन्द्रों का बिजली दर यह तीन रूपये प्रति युनिट है. इसलिए महाराष्ट्र को बिजली मुहैया करते समय सस्ती बिजली पहले लेने के निकषों के अनुसार निजी के बजाय अब महानिर्मिति व एनटीपीसी प्रकल्प की बिजली ली जा रही है. पहले निजी कंपनियों के प्रकल्पों के बिजली के दर महानिर्मिति के कुछ प्रकल्पों से सस्ते रहते थे. अब निजी कंपनी के तीनों बिजली केन्द्र बंद है. अब ७० दिन बीत गये है. वहीं और महिना भर बंद रहने की संभावनाए नजर आ रही है.

यह जानकारी बिजली विशेषज्ञ अशोक पेंडसे ने दी है. उन्होंने बताया कि महानिर्मिति व एनटीपीसी ने कोयले के दर कम कर दिए है. कोरोना के हालातों से निपटने के बाद महानिर्मिति ने उनके दर ऐसे ही नियंत्रण में रखे तो निश्चित ही निधि क्षेत्र की कंपनियों को महानिर्मिति के साथ स्पर्धा करना कठिन साबित होगा.

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