मुंबई/दि.23 – बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार रियल इस्टेट क्षेत्र की पीडा व परेशानी को लेकर सहानुभूति पूर्ण रुख अपनाए. कोविड के चलते अडचनों का सामना कर रहे इस क्षेत्र की परेशानी दूर करने का प्रयास करें. न्यायमूर्ति एए सैय्यद व न्यायमूर्ति शिव कुमार दिघे की खंडपीठ ने यह बात रियल स्टेट क्षेत्र के अग्रणी संगठन कांफिड्रेशन ऑफ रियल इस्टेट डेवलपर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही.
सुनवाई के दौरान एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विराज तुलझापुरकर ने दावा किया कि 2034 तक का विकास प्रारुप लागू होने के बाद से विकास शुल्क व रियल इस्टेट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के शुल्क में काफी इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अधिनियम 2005 व महामारी अधिनियम 1897 सरकार को बाध्य करता है कि वह रियल इस्टेट क्षेत्र को संकट से उबारने के लिए उपयुक्त कदम उठाए.
उन्होंने कहा कि, सरकार ने रियल इस्टेट क्षेत्र को विभिन्न शुल्कों में रियायतें दी थी जिसका एसोसिएशन पहले सितंबर 2019 से नवंबर 2019 के बीच राज्य मेें चुनाव के चलते फिर मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 के बीच कोरोना के कारण लाभ नहीं ले पाया. इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर की वजह सेअप्रैल 2021 से जुलाई 2021 के बीच छूट का फायदा नहीं ले सका. बता दें कि, मुंबई महानगर क्षेत्र में एसोसिएशन के 1400 सदस्य है.