महाराष्ट्र

सरकारी गेहूं की कोठरी खाली ही

10 साल में सबसे कम खरीदी, गरीबों की अन्नसुरक्षा खतरे में

पुणे/ दि. 5-भारतीय अन्न महामंडल ने इस बार रबी के सीजन में देश में उत्पादित हुई गेहूं की खरीदी 29 जून के अंत में केवल 187.87 लाख टन तक की है. विगत दस वर्ष में यह सबसे कम खरीदी है. जिसके कारण देश के गरीबों की अन्न सुरक्षा खतरे में आ गई है.
केन्द्र सरकार भारतीय अन्न महामंडल के माध्यम से विविध कल्याणकारी योजना सहित सुरक्षित संग्रह के रूप में गेहूं की खरीदी करते है. देश में गेहूॅ की फसल काटना शुरू होते ही प्रमुख रूपसे पंजाब, हरियाणा,मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में यह खरीदी होती जिसमें पंजाब के हिस्से में सबसे अधिक है.
इस बार केन्द्र ने 29 जून को 187.87 लाख टन खरीदी की है. 2020-21 में 389.92 लाख टन, 2019-20 में 35.95 लाख टन, 2017-18में 308.24 लाख टन खरीदी हुई थी. 2010 से 2016 इस समय औसतन 250 लाख टन खरीदी की गई थी. इस बार पंजाब ने 96.47 लाख टन खरीदी की है, हरियाणा ने 41.81 लाख टन, मध्य प्रदेश ने 46. 03 लाख टन है. अन्य राज्य की खरीदी नगन्य है.
* सरकार के पास संग्रह 365 लाख टन से अधिक
देश में हर साल औसतन 400 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है. उसमें राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना अंतर्गत 210 लाख टन, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए 115लाख टन, उपयोग में लाने का संग्रह 44.6 लाख और पध्दति के अनुसार संग्रह 30 लाख टन रहता है. इस बार पिछला संग्रह लगभग 190 लाख टन और नई खरीदी लाख टन, ऐसा कुल लगभग 375 लाख संग्रह सरकार के पास है. जरूरत की तुलना में संग्रह कम होने का दिखाई देता है.

* खरीदी कम क्यों ?
– सरकार ने इस बार 444 लाख टन गेहूॅ खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया था. परंतु प्रत्यक्ष में जून के अंत में 187.87 लाख टन गेहूं संग्रह में केन्द्र को सफलता मिली है.
– वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग होने के कारण 2015 रूपये प्रति क्विंटल हमीभाव होने पर देश अंतर्गत बाजार में गेहूॅ 22 से 25 रूपये से बेचा जाता था.
– किसान और बाजार समिति में से निजी व्यापारियों ने गेहूॅ बडे प्रमाण में खरीदा. जिसके कारण सरकार को गारंटी भाव से खरीदी के लिए गेहूॅ बचा नहीं.

सरकार के पास अधिक दर से गेहू खरीदने का कोई उपाय नहीं था. परंतु बाजार में गेहूॅ की उपलब्धता कायम रखने के लिए सरकार ने हाथ पीछे नहीं लिया. मार्च, अप्रैल, माह में आयी गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत से कमी होने के कारण बाजार की उपलब्धता कुछ प्रमाण में कम हो गई है. फिर भी सरकार ने और निजी संग्रह देखकर जरूरत तक का गेहूॅ देश में बकाया रखा है.
राजेश शहा, गेहूॅ निर्यातक पुणे

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