महाराष्ट्र

लॉकडाऊन का भारी भरकम बिल का बोझा उठायेगी सरकार

(electricity bill) राज्यभर के बिजली ग्राहको का रोष कम करने का प्रयास

हिं.स/दि.२२

मुंबई – लॉकडाऊन के दौर में प्रत्यक्ष रूप से बिजली मीटर का रिडिंग न लेकर अनुमानित निकाले गये भारी भरकम बिजली बिल से नागरिक परेशान है. इसी पृष्ठभूमि पर बिजली ग्राहको को राहत देने के लिए महाविकास आघाडी सरकार ने नया प्रस्ताव तैयार किया है. जिसमे राज्य सरकार युनिट उपयोग के अनुसार ग्राहको को राहत देनेवाली है. इस प्रस्ताव के अनुसार राज्य के सभी बिजली ग्राहको को लॉकडाऊन के दौर में किए गये बिजली का उपयोग और बीते वर्ष यानी वर्ष २०१९ में किए गये बिजली उपयोग की तुलना की जायेगी. २०१९ में ग्राहको ने जितनी बिजली का उपयोग किया है. उतना ही बिजली बिल इस वर्ष अप्रैल-मई और जून माह का बिल ग्राहको को भरना पडेगा. इसके ऊपर बिजली का उपयोग किए जाने का बोझ राज्य सरकार उठायेगी.

बिजली बिल का भुगतान करनेवालो को राहत

लॉकडाऊन के दौरान जिन ग्राहको ने बिजली बिल का भुगतान किया है.उन ग्राहको को भेजे जानेवाले बिजली बिल की रकम की कटौती की जायेगी. राज्य सरकार केवल घरेलू बिजली ग्राहको को राहत देने का काम करेगी. व्यावसायिक व औद्योगिक बिजली ग्राहको के लिए यह निर्णय लागू नहीं रहेगा. इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लग सकती है.

घरेलू बिजली ग्राहको को बिजली बिल से मिलेगी राहत

बीते वर्ष जिन ग्राहको को ५०० रूपये बिजली बिल आया है और इस वर्ष लॉकडाऊन के दौरान २ हजार रूपये बिल आने पर ग्राहको को केवल ५०० रूपये ही भरने पडेगे.

१००युनिट के उपयोग का गणित

राज्य सरकार १०० युनिट तक बिजली उपयोग के अंतर को पूरी तरह से भरने का प्रयास करेगी. यदि बीते वर्ष अप्रैल माह में ८० युनिट बिजली का उपयोग किया गया है और इस वर्ष १०० युनिट बिजली बिल उपयोग का बिल आने तक केवल ८० युनिट का ही बिजली बिल का भुगतान करना पडेगा. फर्क वाला २० युनिट का बिल राज्य सरकार भुगतान करेगी.

१०१ से ३०० युनिट का उपयोग करनेवालों को भी मिलेगी राहत

यदि बिजली बिल का उपयोग १०१ से ३०० युनिट तक किया गया है तो फर्क का बिजली उपयोग का ५० फीसदी बोझ राज्य सरकार उठायेगी. इसके अलावा यदि बिजली बिल का उपयोग ३०१ से ५०० युनिट तक होगा तो फर्क वाले बिजली उपयोग का २५फीसदी भाग राज्य सरकार उठायेगी. इसी तरह से राज्य की सभी कंपनियां घरेलू बिजली ग्राहको को राज्य सरकार राहत देगी.

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