महाराष्ट्र

दिव्यांगों की पढाई सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी

कोविड-19 के चलते आ रही दिक्कतों पर बोला हाईकोर्ट

मुंबई/दि.8 – बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि, राज्य सरकार का दायित्व है कि, वह दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की विशेष व्यवस्था बनाए. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार को दिव्यांग छात्रों की शिक्षा के लिए दूरदर्शन का इस्तेमाल, शिक्षा से जुडे प्रोग्राम प्रसारित करने का सुझाव दिया. कोर्ट ने कहा कि, सरकार दिव्यांगों की शिक्षा से जुडी परेशानी का समाधान निकाले. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति जीएल कुलकर्णी की खंडपीठ ने गैर सरकारी संस्था अनम प्रेम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उपरोक्त सुझाव दिया. याचिका में मुख्य रुप से कोरोना के चलते दिव्यांग बच्चों को पढाई में आ रही दिक्कतों को दर्शाया गया है.

‘कई बच्चों के पास मोबाइल नहीं’

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिकवक्ता उदय वारुंजेकर ने कहा कि, कोरोना महामारी के चलते दिव्यांग बच्चों को पढाई को लेकर काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. कई संस्थानों में स्टाफ की कमी है. कई जगहों पर बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है. वारुंजेकर ने कहा कि, सरकार दिव्यांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकारी चैनलों व रेडियों का इस्तेमाल करें. क्योंकि ये पढाई के लिए प्रभावी माध्यम हो सकते है. इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि, राज्य सरकार दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ समाधान खोजे. दिव्यांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार दूरदर्शन में एक व दो घंटे का स्लाट बच्चों की पढाई के लिए ले. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को भी राज्य सरकार को दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए सुझाव देने को कहा. सरकार को इन सुझावों पर गौर करने को कहा. खंडपीठ ने राज्य सरकार को 18 जनवरी 2021 को इस बारे में उठाए गए कदमों की जानकारी एक रिपोर्ट के रुप में देने का निर्देश दिया.

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