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राज्यपाल नियुक्त, विधायकों का पेंच कायम

शिंदे सरकार के कहने पर राज्यपाल ने मविआ की सूची लौटाई

* सरकार की उच्च न्यायालय में स्वीकारोक्ति
मुंबई/दि.22- राज्य सरकार ने कोर्ट में मान्य किया कि राज्यपाल नियुक्त विधायकों की महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा दी गई सूची तत्कालीन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने शिंदे सरकार के कहने पर लौटा दी. शासन ने न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत किया. न्या. देवेंद्रकुमार उपाध्याय और न्या. आरीफ डॉक्टर की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को संशोधित प्रतिज्ञा पत्र हेतु समय दिया है. अगली सुनवाई 20 सितंबर तक स्थगित की गई है.
विधान परिषद में राज्यपाल मनोनीत बारह सदस्यों की नियुक्ति का मामला गत तीन वर्षों से प्रलंबित है. इस संदर्भ में महाविकास आघाड़ी सरकार द्वारा भेजी गई लिस्ट को तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी ने स्वीकृति नहीं दी थी. जिससे यह मुद्दा उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा.
इस बीच मूल याचिकाकर्ता रतन सोली लूथ ने याचिका पीछे लेने की अनुमति मांगी. तब उन्हें कहा गया कि दूसरे याचक सुनील मोदी ने मूल याचिका पीछे ली तो वह अनुमति देंगे. इस संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने मोदी को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की अनुमति दी. मोदी की तरफ से एड. सिद्धार्थ मेहता और एड. संग्राम भोसले ने राज्यपाल की भूमिका संविधान के प्रावधानों के अनुरुप नहीं होने का दावा कर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है.
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय और न्या. आरीफ डॉक्टर की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई. प्रदेश के उपसचिव दिलीप देशपांडे ने प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत कर याचिका गुमराह करने वाली एवं निरर्थक होने का दावा किया गया.याचिका के आरोप तथ्यहीन बतलाकर उसे ठुकराने की विनती भी उच्च न्यायालय से की गई. मगर यह भी स्पष्ट हुआ कि शिंदे सरकार के कहने पर राज्यपाल ने पहले की लिस्ट लौटाई है. प्रतिज्ञा पत्र में दावा किया गया कि राज्यपाल द्वारा मंजूरी न मिलने की स्थिति में मुख्यमंत्री अथवा मंत्रिमंडल की सिफारिश पर नाम पीछे लिए जा सकते हैं. अब संशोधित प्रतिज्ञा पत्र के लिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता मोदी को अनुमति दी है.

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