महाराष्ट्र

राज्यपाल ने सरकार की सिफारिश का नहीं किया सम्मान

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

  • विप्र के राज्यपाल कोटे की सीटों पर नियुक्ति का मामला

मुंबई/दि.13 – राज्य सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि आठ माह का वक्त बीत जाने के बाद भी राज्यपाल ने विधान परिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने के बारे में मंत्रिमंडल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव का सम्मान नहीं किया है. जबकि स्वस्थ लोकतंत्र के विकास के लिए राज्यपाल को मंत्रिमंडल की सिफारिश को मानना जरुरी है. संविधान के तहत राज्यपाल को मंत्रिमंडल के सहयोग व सिफारिश के तहत काम करना चाहिए.
संसदीय कार्य विभाग के सचिव ने यह हलफनामा नाशिक निवासी रतन शोली की ओर से जनहित याचिका के जवाब में दायर किया है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष पेश सरकार के हलफनामों में कहा गया है कि अदालत के पास इस बात का अधिकार नहीं है कि वह मंत्रिमंडल की ओर से भेजी गई सिफारिश पर सवाल उठाए. इसलिए न्यायहित में जरुरी है कि राज्यपाल मंत्रिमंडल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर जल्द से जल्द निर्णय ले. जिससे विशेष ज्ञान रखने वाले 12 सदस्यों की जानकारी का लाभ नागरिकों को मिल सके.
राज्यपाल के पास शिक्षा,कला,साहित्य विज्ञान व समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले 12 लोगों को विधान परिषद में मनोनीत करने का अधिकार है. राज्य सरकार ने बीते 6 नवंबर 2020 को इन 12 नामों की सिफारिश की थी, पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी.

नवंबर 2020 में भेजा गया था प्रस्ताव

इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आरपी चिनाय ने दावा किया कि मंत्रिमंडल की ओर से विधान परिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का प्रस्ताव नवंबर 2020 में भेजा गया था. अब तक इस पर राज्यपाल का कोई निर्णय न लेना पूरी तरह से मनमानीपूर्ण है. जबकि संविधान के प्रावधानों के तहत राज्यपाल को मंत्रिमंडल की ओर से भेजी गई सिफारिश पर निर्णय लेना जरुरी है.

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. ऐसे में हम भला कैसे इस याचिका पर सुनवाई कर सकते हैं. इस दौरान याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं, इस पर सवाल उठाया गया तो चिनाय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों की योग्यता से जुड़ा मामला गया था. जबकि हमारी याचिका में राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि वे 12 सदस्यों को मनोनीत करने के प्रस्ताव के बारे में निर्णय ले. खंडपीठ में अब 16 जुलाई को याचिका पर सुनवाई होगी.

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