राज्यपाल कोश्यारी ने जतायी सीएम ठाकरे की भाषा पर नाराजगी
सीएम के पत्र को बताया अपमानजनक व बदनामीकारक

मुंबई/दि.29– इस समय राज्य विधानसभा के अध्यक्ष पद के चयन की प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार व राज्यपाल के बीच तनातनी हो गई है. क्योंकि राज्य सरकार इस पद के लिए ध्वनिमत से मतदान कराना चाहती है. जिसके लिए निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित नियमों में बदलाव करते हुए राज्यपाल से इस संदर्भ में मंजूरी मांगी गई. वहीं राज्यपाल द्वारा इसे लेकर मंजूरी देने से इन्कार किये जाने के बाद अब दोनों ओर से पत्र-युध्द चल रहा है.
बता दें कि, गत रोज राज्यपाल द्वारा चयन प्रक्रिया में बदलाव को मंजूरी देने से इन्कार किये जाने के चलते विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव ही नहीं करवाया जा सका. ऐसे में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को एक पत्र भेजते हुए उनकी भूमिका को लेकर नाराजगी जताई गयी. जिस पर आक्षेप उठाते हुए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को एक पत्र भेजा है. जिसमें सीएम ठाकरे के पत्र की भाषा और कुछ शब्दों पर राज्यपाल द्वारा आपत्ति उठाते हुए कहा गया कि, सीएम ठाकरे ने उन्हें लगभग धमकी देनेवाले अंदाज में पत्र लिखा है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. क्योंकि उन्होंने राज्यपाल के तौर पर संविधान की सुरक्षा की शपथ ली है और वे अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से निष्ठा रखते है. वहीं राज्य सरकार अपने मनमाने तरीके से काम करना चाह रही है. जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
राज्यपाल कोश्यारी के मुताबिक राज्य सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष के चयन कि प्रक्रिया को शुरू करने में ही 11 माह का समय दे दिया और अब अपने मनमाफिक तरीके से विधानसभा अध्यक्ष का चयन सरकार करना चाहती है. इसे लेकर सीएम ठाकरे द्वारा राजभवन के नाम जारी किये गये पत्र में बताया गया कि, संविधान के अनुच्छेद 208 के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव का नियम तैयार किया गया है. किंतु उसी अनुच्छेद में यह कहा गया है कि, विधानमंडल द्वारा जो कोई निर्णय लिया जाये, वह संवैधानिक होना चाहिए और उसकी कार्यपध्दति भी संवैधानिक ही रहनी चाहिए. किंतु सरकार द्वारा विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करने हेतु प्रक्रिया के नियमों में बदलाव करने का फैसला संवैधानिक बिल्कुल भी नहीं है. ऐसे में राजभवन द्वारा उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.
बता दें कि, सीएम उध्दव ठाकरे ने राज्यपाल कोश्यारी को लिखे गये पत्र में आरोप लगाया था कि, राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल के कामकाज में नाहक ही हस्तक्षेप किया जा रहा है. अत: राज्यपाल ने बेवजह की बातों में ध्यान नहीं देना चाहिए. इस पर भी अपनी नाराजगी जताते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि, उन्होंने कभी भी विधान मंडल की कार्यपध्दति और कार्रवाई के विशेष अधिकार पर कोई सवाल नहीं उठाया. किंतु इसके नाम पर किसी संविधानबाह्य कार्य हेतु उन पर दबाव भी नहीं लाया जा सकता. राज्यपाल कोश्यारी ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जतायी कि, राज्य सरकार द्वारा उन्हें शाम 5 बजे पत्र दिया गया और एक घंटे के भीतर शाम 6 बजे तक उनसे जवाब देने हेतु कहा गया. किसी भी तरह के निर्णय हेतु उन पर दबाव लाना या डेडलाईन तय करना किसी भी लिहाज से योग्य नहीं है. क्योंकि राज्यपाल होने के नाते उन्हें सभी बातों का विचार करने के बाद ही निर्णय लेना होता है और वे किसी भी दबाव में आकर कोई असंवैधानिक निर्णय बिल्कुल भी नहीं लेनेवाले है.