राज्य के आदिवासियों को अनाज और नगदी तौर पर मदद
१७ लाख परिवारों के लिए ७९२ करोड का प्रावधान
दि.१६ मुंबई- कोरोना और संचारबंदी की वजह से निर्माण हुए हालातों का असर सभी समूह पर पडा है. राज्य के आदिवासियों की हालातों को देखते हुए १७ लाख ८० हजार आदिवासी परिवारों को ७९२ करोड रुपए का अनाज व नगद तौर पर मदद देने का निर्णय सरकार ने लिया है. बता दे कि, राज्य के १६ जिलों के लगभग सवा करोड आदिवासियों के हालात कोरोना की वजह से गंभीर हो चुके है. अधिकांश आदिवासी मनरेगा के अलावा ईट भट्टियों पर काम करते है और बारिश के दिनों में अपने गांव जाकर खेती बाडी करते है. लेकिन कोरोना व संचार बंदी के चलते उनकी भी दिक्कतें बढ गई है. इसकी दखल लेते हुए आदिवासियों को अनाज व नगद तौर पर मदद देने का निर्णय आदिवासी विभाग ने लिया है. खावटी योजना अंतर्गत यह मदद की जाएगी. राज्य के आदिवासियों के लिए १९७८ से सरकार ने खावटी योजना शुरु की थी. इस योजना के तहत आदिवासियों को अनाज अथवा मदद रकम कर्ज के रुप में दी जा रही थी. वर्ष २०१३-१४ तक ११ लाख ८० हजार आदिवासियों को २४४ करोड ६० लाख रुपयों का खावटी कर्ज बांटा गया था व उस पर ११६ करोड ५७ लाख रुपए का ब्याज पकडकर यह रकम ३६१ करोड १६ लाख रुपए हो गई थी. आदिवासियों की कमजोर स्थिति को देखते हुए सरकार ने यह कर्जा माफ किया है. बावजूद इसके बीते अनेक वर्षो से यह खावटी योजना बंद थी. कोरोना के हालातो को देखते हुए बीते अप्रैल माह से सरकार ने यह खावटी योजना पुन: शुरु करने का निर्णय सरकार ने लिया है. इसे लेकर आदिवासी विभाग ने यह योजना तैयार की है. योजना में १७ लाख ८० हजार आदिवासी परिवारों को लाभ देने का निर्णय लिया गया है. जिसमें मनरेगा पर काम करने वाले ११ लाख ८९ हजार आदिवासी परिवार के अलावा आदिम जनजाति के २ लाख २६ हजार परिवार, पारधी समाज के ६४ हजार परिवार के साथ ही जिलाधिकारी व प्रकल्प अधिकारी द्वारा निर्धारित किए गए ३ लाख परिवार कुल १७ लाख ८० हजार आदिवासी परिवारों को खावटी योजना लागू की जाएगी. संपूर्ण राज्य में सवा करोड आदिवासियों की जनसंख्या है. इनमें से ५७ लाख आदिवासियों को योजना का लाभ मिलेगा. इस योजना में एक आदिवासी परिवार को १ हजार रुपए नगद व ३ हजार रुपयों का अनाज दिया जाएगा. खावटी योजना अंतर्गत ८ किलो अनाज, ४ किलो दाल, ४ किलो शक्कर, १ किलो मसाला, ४ किलो नमक व १ किलो चायपत्ती का समान थैली में बांधकर दिया जाएगा.