हमारा कहा फडणवीस ने सुना होता तो आज CM का पद नहीं गया होता
बोलते-बोलते क्या बोल गए रामदास आठवले
मुंबई/दि.4 – रविवार को मुंबई में एक ऐसा कार्यक्रम हुआ जहां कई ऐसी बातें हुईं जो आम तौर पर दिखाई नहीं देती हैं. यहां आलोचनाओं की बौछार नहीं थी, विरोधी पार्टियों के नेताओं का भी सत्कार था. महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष फडणवीस और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की जम कर तारीफ की.
रामदास आठवले हों और तुकबंदी ना हो, ऐसा कभी होता नहीं है. वे तो संसद में सवाल भी कविता में पूछा करते हैं. यहां कैसे चुप रहने वाले थे. आखिर बोलते-बोलते वे बहुत कुछ बोल गए. उन्होंने कहा कि जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने हमारी सुनी नहीं, अगर हमारा कहा फडणवीस ने सुना होता तो आज मुख्यमंत्री का पद नहीं गया होता. ‘सम्मान दूत’ (सन्मान देवदूतांचा) नाम के इस विशेष कार्यक्रम में कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया जा रहा था.
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‘भाजपा- शिवसेना में फिर भी नहीं जमता था, तो मेरा मुख्यमंत्री होना बनता था’
मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना का सालों पुराना गठबंधन (युति) टूट गया. शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बना ली. रामदास आठवले ने इस मुद्दे को छेड़ते हुए कहा कि सत्ता संघर्ष के इस दौर में मैंने देवेंद्र फडणवीस को सलाह दी थी कि ढाई साल के लिए वे शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद दे दें. अगर फडणवीस ने हमारी सलाह पे गौर किया होता, तो ढाई साल बाद सीएम का पद उनका होता. आठवले यहां पर कहां रूकने वाले थे. उन्होंने कहा कि अगर आप दोनों (भाजपा- शिवसेना) में फिर भी नहीं जमता था, तो मेरा मुख्यमंत्री होना बनता था. आठवले के यह कहते ही कार्यक्रम में मौजूद लोग हंस पड़े. देवेंद्र फडणवीस भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए.
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आठवले और फडणवीस ने राजेश टोपे की ‘हट के’ की तारीफ़
देवेंद्र फडणवीस का ताल्लुक भाजपा से है, रामदास आठवले का ताल्लुक रिपब्लिकन पार्टी से. लेकिन इन दोनों ने एनसीपी से ताल्लुक रखने वाले स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की जम कर तारीफ़ की. कोरोना काल में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बहुत अच्छा काम किया. परिवार के सदस्यों की तरह महाराष्ट्र की जनता का ख़याल रखा. विपक्षी पार्टी होने के बावजूद भाजपा की ओर से भी कभी किसी ने राजेश टोपे पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की. यह कह कर देवेंद्र फडणवीस ने राजेश टोपे के लिए प्रशंसा से भरे शब्द कहे तो रामदास आठवले ने पूरी की पूरी एक कवितावली ही पढ़ डाली. राजेश टोपे के लिए कही गई उनकी उस मराठी कविता का भाव कुछ यूं था, ‘कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग को लेकर सब आज रो रहे होते, राज्य को नहीं मिले होते जो स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे…'(कोरोनच्या काळात आरोग्य खातं चालवणे नव्हते सोपे, पण त्याला पुरुन उरले राजेश टोपे…)